________________ नहीं किया जब तक गजमोती चढ़ाकर भगवान् के दर्शनों का लाभ नहीं मिला। जब चलते-चलते थक गये तो रास्ते में सो गये। पिछली रात्रि में उन्हें स्वप्न होता है कि तुम्हारे निकट ही मन्दिर है, शिला हटाकर दर्शन करो। उठकर संकेत के अनुसार शिला हटाते ही भगवान् के दर्शन हुए। वहीं पर चढ़ाने के लिए गजमोती मिल गये / दर्शन करके भोजन किया। आगे चलकर पुण्ययोग से बुधसेन राजा के जमाई बन गये। ____इधर वे छहों भाई अत्यन्त दरिद्र अवस्था को प्राप्त हो जाते हैं। गाँव छोड़कर कार्य की तलाश में घूमते-घूमते छहों भाई, उनकी पलियाँ व माता-पिता सभी वहाँ पहुँचते हैं जहाँ बुधसेन जिन मन्दिर का निर्माण करा रहे थे। लोगों ने उन्हें बताया कि आप बुधसेन के वहाँ जाओ, आपको वे काम पर लगा लेंगे। वे सभी वहाँ पहुँचे उनको काम पर लगाया, बुधसेन मनोवती उन्हें पहिचान गये अन्त में सबका मिलन हुआ। सभी भाइयों, भौजाइयों तथा माता-पिता ने क्षमा याचना की। धर्म की जय हुई। इस घटना से यही शिक्षा मिलती है कि आपस में सबको मिलकर रहना चाहिये / न मालूम किसके पुण्ययोग से घर में सुख-शांति समृद्धि होती है। सुलोचना जयकुमार महाराजा सोम. के पुत्र जयकुमार भरत चक्रवर्ती के प्रधान सेनापति हुए। उनकी धर्म परायणा शील शिरोमणि ध० प० सुलोचना की भक्ति के कारण गंगा नदी के मध्य आया हुआ उपसर्ग दूर हुआ। रोहिणी व्रत रोहिणी व्रत की कथा का घटना स्थल भी यही हस्तिनापुर तीर्थ है। जम्बूद्वीप की रचना .. अनेक घटनाओं की श्रृंखला के क्रम में एक और मजबूत कड़ी के रूप में जुड़ गई जम्बूद्वीप की रचना / इस रचना ने विस्मृत हस्तिनापुर को पुन: संसार के स्मृति पटल पर अंकित कर दिया / न केवल भारत के कोने-कोने में, अपित विश्व भर में जम्बद्वीप रचना के दर्शन की चर्चा रहती है। जैन जगत में ही नहीं प्रत्युत् वर्तमान दुनिया में पहली बार हस्तिनापुर में जम्बूद्वीप रचना का विशाल खुले मैदान पर भव्य निर्माण हुआ है। जो कि आर्यिका ज्ञानमती माताजी के ज्ञान व उनकी प्रेरणा का प्रतिफल है। सन् 1965 में श्रवणबेलगोल स्थित भगवान् बाहुबली के चरणों में ध्यान करते हुए पूज्य श्री ज्ञानमती माताजी को जिस रचना के दिव्य दर्शन हुए थे, उसे बीस वर्ष के पश्चात् यहाँ हस्तिनापुर में साकाररूप प्राप्त हुआ। वर्तमान में जम्बूद्वीप रचना दर्शन के निमित्त से ही सन् 1976 से अब तक लाखों जैन-जैनेतर दर्शनार्थियों को हस्तिनापुर आने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। प्रतिदिन आने वाले दर्शनार्थियों में अधिकतम ऐसे होते हैं जो कि यहाँ पहली बार आने वाले होते हैं। सभी दर्शनार्थियों के मुख से एक स्वर से यही कहते हुए सुनने में आता है कि हमें तो कल्पना भी नहीं थी कि इतनी आकर्षक जम्बूद्वीप की रचना बनी होगी। हस्तिनापुर आने वाले दर्शकों को जम्बूद्वीप रचना के साथ ही उसकी प्रेरिका पूज्य गणिनी आर्यिकारत्न श्री ज्ञानमती माताजी के दर्शनों का एवं उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का भी स्वर्णिम अवसर सहज में प्राप्त हो जाता है। पज्य माताजी ने जम्बद्वीप रचना की प्रेरणा तो दी ही साहित्य निर्माण के क्षेत्र में भी अद्भत कीर्तिमान स्थापित किया। अढ़ाई हजार वर्ष में दिगम्बर जैन समाज में ज्ञानमती माताजी पहली महिला (23)