________________ कातन्त्ररूपमाला बह्वल्पार्थात्कारकाच्छस्वा मङ्गले गम्यमाने // 549 // बह्वर्थात् अल्पार्थाच्च पर: शस्प्रत्ययो वा भवति मङ्गले गम्यमाने / बहून् देहि / बहुशो देहि / एवं अल्पशो, देहि अल्पं देहि / स्तोकशो देहि, स्तोकं देहि / शतशो देहि, शतं देहि / सहस्रशो देहि, सहस्रं देहि / लक्षशो याचते, लक्षं याचते। वारस्य संख्यायाः कृत्वसुच् // 550 // वारस्य संबन्धिन्याः संख्यायाः परः कृत्वसुच प्रत्ययो भवति। उकार उच्चारणार्थः / कृत्वसुच्प्रत्ययान्ता अव्ययानि स्युः। पञ्च वारान् भुङ्क्ते पञ्चकृत्व: / एवं गणकृत्व: / कतिकृत्व: / बहुकृत्व: / एवं सप्तकृत्वो गच्छति / दशकृत्वो ददाति / शतकृत्वो याचते / सहस्रकृत्वो मन्यते इति / . द्वित्रिचतुर्थ्यः सुच् // 551 // वारस्य संबन्धिभ्यो द्वित्रिचतुर्थ्य: पर: सुच् प्रत्ययो भवति / द्वौ वारौ भुङ्क्ते द्विर्भुङ्क्ते / त्रिभुङ्क्ते। चतुर्भङ्क्ते। संख्याया अवयवान्ते तयट् // 552 // संख्याया अवयवान्तार्थे तयट् प्रत्ययो भवति / द्वौ अवयवौ यस्य असौ द्वितय: / त्रितय: / चतुष्टयः / पञ्चतयः / सप्ततयः। परिमाणे तयट् // 553 // परिमाणेऽर्थे तयट् प्रत्ययो भवति / चत्वारि परिमाणानि यस्य चतुष्टयं / एवं द्वितयं त्रितयं / द्वित्रिभ्यामयट् // 554 // बहु अर्थ से और अल्प अर्थ से परे मंगल अर्थ गम्यमान होने पर शस् प्रत्यय विकल्प से हो जाता है // 549 // बहून् देहि-बहुत देवो, उसमें बहुश:, अल्पश: / स्तोकं देहि, स्तोकश: शतशः, सहस्रशः, लक्षश: इत्यादि। ___ वार अर्थ में संख्या से परे ‘कृत्वसुच्' प्रत्यय होता है // 550 // यहाँ प्रत्यय में उकार उच्चारण के लिये है। कृत्वसच प्रत्यय वाले शब्द अव्यय हो जाते हैं। पञ्चवारान भङक्ते = पञ्चकत्व: एवं गणकत्व: कतिकत्व: बहकत्व: सप्तकत्व: दशकत्वो ददाति दस बार देता है। शतकृत्वो याचते सौ बार माँगता है। सहस्रकृत्वो मन्यते हजार बार मानता है। ___ वार अर्थ में द्वि, त्रि, चतुर् से परे सुच् प्रत्यय होता है // 551 // द्वौ वारौ भुक्ते = द्वि: भुंक्ते, त्रि, चतुः बन गया। ___संख्या के अवयव अर्थ के अन्त में 'तयट्' प्रत्यय होता है // 552 // द्वौ अवयवौ यस्य असौ द्वि+ ओ तय, द्वितयः, त्रितय:, चतुष्टयः पञ्चतयः, सप्ततय: इत्यादि। परिमाण अर्थ में तयट् प्रत्यय होता है // 553 // चत्वारि परिमाणानि यस्य चतुष्टयं, द्वितयं, त्रितयं / द्वित्रि से परे समूह अर्थ में 'अयट्' प्रत्यय होता है // 554 //