________________ कातन्त्ररूपमाला भ्रूर्धातुवत्॥२३५॥ भ्रूशब्दो धातुवद्भवति विभक्तिस्वरे परे / ध्रुवौ / ध्रुव: / सम्बोधनेऽप्यनित्यनदीत्वात् संबुद्धौ ह्रस्वो नास्ति / अन्यत्र नदीवत् / हे भ्रूः। हे ध्रुवौ। हे ध्रुवः / ध्रुवम् / ध्रुवौ भुव: / ध्रुवा। भ्रूभ्याम् / भ्रूभिः / ध्रुवे, ध्रुवै। भ्रूभ्याम् / भ्रूभ्य: / ध्रुवाः, ध्रुवः / भ्रूभ्याम्। भ्रूभ्य: / ध्रुवा:, ध्रुव: / ध्रुवोः। भ्रूणाम्। भ्रवि, ध्रुवाम् / ध्रुवोः / भ्रूषु // इत्यूकारान्ताः // ऋकारान्त: स्त्रीलिङ्गो मातृशब्दः / माता। मातारौ / मातरः / हे मातः / हे मातरौ / हे मातरः / मातरम् / मातरौ / मातृः / स्त्रीलिङ्गत्वात्सस्य नत्वाभावः / इत्यादि / अन्यत्र पितृशब्दवत् / एवं दुहित ननान्दृप्रभृतयः / स्वस्रादीनां च पूर्ववत् / स्वस्रादय: के ? ___ इसी प्रकार से उडु, तनु, प्रियंगु, स्नायु, ऊरू, करेणु, धेनु आदि शब्द चलते हैं। इस प्रकार उकारांत शब्द हुये। ऊकारांत स्त्रीलिंग वधू शब्द है। वधू+सि, ईकारांत न होने से 'ईकारांतात्सिः' इस सूत्र से सि का लोप न होने से वधूः बना। संबोधन में ह्रस्व होकर हे वधु ! अन्यत्र नदीवत् / वधूः वध्वौ . वध्वः / वध्वै वधूभ्याम् वधूभ्यः हे वधु ! हे वध्वौ ! हे वध्वः / | वध्वाः वधूभ्याम् वधूभ्यः वधूम् वध्वौ . वधूः। वध्वाः वध्वोः वधूनाम् वध्वा वधूभ्याम् वधूभिः / वध्वाम् .. वध्वोः वधूषु इसी प्रकार से अलाबू आदि शब्द चलेंगे। भ्रू+सि = भ्रूः / भ्रू+औ स्वर वाली विभक्ति के आने पर 5 शब्द धातुवत् हो जाता है.॥२३५ // ध्रुवौ, ध्रुवः / भ्रू शब्द की भी नदी संज्ञा अनित्य है अत: संबोधन में ह्रस्व नहीं होता है अत: हे भ्रूः ! हे ध्रुवौ ! हे ध्रुव: ! नदी संज्ञा के पक्ष में डे आदि विभक्ति को क्रमश: ऐ आस् आस् आम् होकर ऊ को उव् होगा। अत: ध्रुवौ ध्रुवः / ध्रुवै, ध्रुवे भ्रूभ्याम् भ्रूभ्यः हे भ्रूः। हे ध्रुवौ ! हे ध्रुवः ! | ध्रुवाः, ध्रुवः. धूभ्याम् भ्रूभ्यः ध्रुवम् ध्रुवौ ध्रुवाः, ध्रुवः ध्रुवोः ध्रुवाम्, भ्रूणाम् ध्रुवा भ्रूभ्याम् भूभिः / ध्रुवाम, ध्रुवि भ्रुवों: भ्रूषु इस प्रकार से उकारांत शब्द हो गये। ऋकारांत स्त्रीलिंग मातृ शब्द है। मातृ + सि आसौ सिलोपश्च' इस सूत्र से ऋ को आ होकर सि का लोप हो गया तो माता बना / यह शब्द पितृ शब्द के समान ही चलता है केवल शस् में स् को न् नहीं होता है अत: मातृः बना। माता मातरौ मातरः / मात्रे मातृभ्याम् मातृभ्यः हे मातः ! हे मातरौ ! हे मातरः !| मातुः मातृभ्याम् मातृभ्यः मातरम् मातरौ मातृः / मातुः मात्रोः मातृणाम् मात्रा मातृभ्याम् मातृभिः / मातरि मातृषु इसी प्रकार से दुहित, ननान्दृ आदि शब्द चलते हैं। स्वसृ आदि शब्द भी पूर्ववत् चलते हैं। स्वसृ आदि शब्द भी पूर्ववत् चलते हैं। स्वस आदि में आदि शब्द से कितने रूप आगे ? मात्रोः