________________ तेरकाठीयानु स्वरूप व्याख्या-अहो भव्य जीवो ! दश दिदुता मणुयशवदुल्लहा दश दृष्टांते मनुष्यभव पांमवो माहादुल्लभ छ, ते मनुष्यभव पांमीने प्रमाद न करवो / पहिली मनुष्यभव अनादि निगोद मध्यैथी नीकली बादर निगोद मध्यै आव्यो; ते बादर निगोद कहीजे, चरमदृष्टि आवि सूक्ष्म निगोदे केवली दृष्टि आवी, चौद राजलोकने विर्षे भरी मेलो छै, निगोदना असंध्या(ख्या)ता गोला छै, ते एकैक गोलें असंध्याता निगौद भरी छई, ते माहिथी अनंती पुन्यरास प्रगटी, अकाम निर्जरा अनन्ती थाई, तिवारें बादरपणामैं आव्यो, ए चेतन तिवारे चरमदृष्टि आन्यौ ते बादरनी च्यार पर्याप्ति, एकेंद्रीनी ते च्यार पर्याप्ति कही, आहार, सरीर, इन्द्री ने सासौसास, बेन्द्र।नि भाषा वधि, तेद्रीनि भाषा वधि, चौरंद्रोनो भाषा वधि, असनीया पंचोन्द्री नैं पग भाषा वधि, सनीया पंचेंद्रीनिं मन वध्यो, एहवी पर्याप्ति, एहवी पर्याप्तौ अनन्ती वार पुरोकरी, पिण मनुष्यभव पांम्यो नहो / कदाचित् पुण्यने योगें मनुष्यभव मिल्यौ, आर्यदेश मिलयौ दुर्लभ, आर्यदशमें पनर क्षेत्र पंच महाविदेह, पंचऐरवत, पंच भरत / बीजा सर्व अकर्म भूमि जाणवी ३०-त्रीस पंनर कर्मभूमि जाणवो / पनर कर्म भूमिनो जीव मरीने केवलज्ञान पांमें, चरित्र पडिवजे, व्रतपालो पोतानो स्व धर्मपाली रत्नत्रीयो दान-सील-तप-भाव, उत्तमकरण अवलंबी सिद्धिनां सुष पडिवळ तेवास्ते उत्तम कुल पामवो दुर्लभ3। नीच कुल घणाई छेई / ढेढ-धांचो-मोची-चमार-पाटकी वागरी-माछी-आहे डी-कोलो-जवन-तेली-तंबौली-घांछा लोहार-भडभुजा-करसणी, महा आरंभना करनारा ते कुले आवे, पिण उत्तम कुल, धर्म पांमवो दुर्लभ छई / ते उत्तम कुछ माता पिता के पक्ष पुरा जाइ संपन्ने, एड्वे कुछ पुण्य नोगे पामोनिकुले आवो उपना ते पण माता पिता ने कुष माहिथो चवो गया तिवारे उत्तम कुलेस्यै भोग पडयो जो, इम करतां जीवदयाना प्रभावथी आयषु पूरु पांम्यु, तिवारे पंचंद्रो पांखडा पामवां दुर्लभ, कदाचित् पंचेद्री पांखडा पाम्यो, निरोगी काया पांमवी, दुर्लभ, निरोगी काया पांम्यो तो गुरुदेव मिलवा दुर्लभ, देवगुरु मिल्या तो गुरु पासे जावू दुर्लभ, तिहां कोणे,अन्तराय कयों ! १३-तेर काठीयाः ते तेर काठीया किया ? ते मोहराजाना सेनानी, मोहराजाई जाण्यु जे, ए प्राणो धर्म करीनै मुगतै जास्यै, अने सुषीयो थास्य, जिनेश्वरनी राजध्यानी पांमस्यै, ते वास्ते मोह राजाई तेर उबरावनै' बोलाव्या, बौलावीनें कहतो हुयो, रे भाइयो ! तुमे जाओ, एक माहरा नगरमां श्रीजिनराजानो उबराव आव्यो छै, ते पासें घणा लोक जावानि इछे छई, ते वास्ते तुमे जाओ, तेहनें धर्म करवा देस्यो मां, तिवार पहिलो उबराव 'आलस' काठीयो कहती चोर जे // 1. उबराव एटले उमराव-अधिकारीओ /