________________ पामा कच्छ्रः स्त्रियां ज्ञेया क्लीबे पामः मतान्तरे / कासः खासस्तु पुंल्लिगे कण्डू खजूं-द्विकं स्त्रियाम् // 54 // व्रणोऽस्त्रियामरुर्मि च क्लीबे वर्मो नरि स्मृतः / कश्चिद्धर्ममयोषायां पुल्लिगे क्षणनुमतः // 55 // किणस्तु पादवल्मीकः कुष्ठं च पुनपुंसके। पुल्लिगे स्फोटको गंडाश्चत्राष्टकं नपुंसके // 56 // पिटको मंडलश्चैतौ त्रिषु हिक्का-द्विकं स्त्रियाम् / गलगंडाष्टकं पुंसि दुर्नामाझे नपुंसके // 57 // छर्दिः स्त्रीक्लीब-लिंगे स्यात् छर्दिः स्त्री वमधु पुमान् / / स्त्री बमिर्वमितं क्लीबे गुल्मोऽस्त्रियां गतिःस्त्रियाम् // 58 // नाडीव्रणः कुरण्डो ना स्त्रियां वा पुंसि विद्रधिः / दोषज्ञः त्रिषु विद्यार्थेऽस्त्रियां वितंकमौषधम् // 59 // पुल्लिगे त्वगदो जायुश्चिकित्सा-त्रितयं स्त्रियाम् / क्लीबे स्वास्थ्यत्रिकं पुंसि वरदान्ताः स्त्रियामपि // 60 // चपलश्चिकुरः सह्यः वाच्यलिंगा इमे त्रयः / स्त्रियां पर्षत् सदः सान्तमास्थानं स्त्रीनपुंसके // 6 // सांवत्सरादयः पुंसि लेखा लिपिलिविः स्त्रियाम् / लेखनी-कलमश्चापि ललन्तिका मतान्तरे // 62 // ' मषी मसी तु पुनार्योः पुंल्लिगे कुलिकादयः / धूतं दुरसेदरं शारिफलमष्टापदोऽस्त्रियाम् // 63 // पुंस्त्रीलिंगे भवेत्शारः शारिस्तु खेलनी स्त्रियाम् / . मनोजवः समुख्याश्च रूढितः पुंसि विश्रुताः // 64 // तन्मध्ये पुण्यवान् धन्यः श्राद्धः सहः क्षमः पुनः / . शक्तः प्रभूष्णुभूतात्तस्त्वाविष्टः शिथिलः श्लथः // 65 / / समर्थोऽमी त्रिषु द्रव्ये स्यात् पान्थो पथिको द्वयोः / हारि: स्त्रियां च पाथेयं क्लीबे शंबलमस्त्रियाम् // 66 // त्रिषु वाजो जवे पक्षे क्लीबे रहस्तरः पुनः / सेवकान्ताश्च पुल्लिगे स्यात् सेवानवकं स्त्रियाम् // 67 / / आवेशिक तथागन्तुरातिथ्यं पाद्यमेव हि / अर्घ्यमानं समादिष्टास्त्रिलिंग्यां विबुधैरमी // 68 //