________________ 342 ] ___ महोपाध्यायश्रीमन्मेघविजयविरचितम् [ परिशिष्ट अवसप्पिणिकालवसा कमेण हायंति माणवबलाइ। तित्थयराणं तु बलं सव्वेसि होइ इगरूवं / / 8 / / उप्पाडेउ तीरइ जं बलवंतीए सुहडकोडोए / तेणेसा कोडिसिला इक्कल्लेणावि हरिणा उ / / 9 / / चक्काउहोत्ति नामेण संतिनाहस्स गणहरो पढमो / काऊण अणसणविहिं कोडिसिलाए सिवं पत्तो / / 10 / / सिरिसंतिनाहतित्थे संखिज्जाओ मुणीण कोडीओ। इत्थेव य सिद्धाओ एवं सिरिकुंथुतित्थे वि / / 11 / / अरजिणवरतित्थंमि वि बारससिद्धाओ समणकोडीओ। __ छक्कोडीओ रिसीणं सिद्धाओ मल्लिजिणतित्थे / / 12 / / मुणिसुव्वयजिणतित्थे सिद्धाओ तिन्नि साहुकोडीओ। इक्का कोडो सिद्धा नमिजिणतित्थेऽणगाराणं / / 13 / / अन्ने वि अणेगे तत्थ महरिसी सासयं पयं पत्ता। __ इह कोडिसिलातित्थं विक्खायं पुहविवलयंमि / / 14 / / पुवायरिएहिं च इत्थ सविसेसं किं पि भणियं / तं जहाजोअणपिहला यामा दसन्नपव्वयसमीवि कोडिसिला। जिणछक्कतित्थसिद्धा तत्थ अणेगाउ मुणिकोडी // 15 // पढम संतिगणहरो चक्काउहोणेगसाहुपरिअरिओ / __बत्तीसजुगेहि तओ सिद्धा संखिज्जमुणिकोडी / / 16 / / संखिज्जा मुणिकोडी अडवीसजुगेहि कुंथुनाहस्स / अरजिणचउवीसजुगा बारसकोडीओ सिद्धाओ / / 17 / मल्लिस्स वि वीसजुगा छकोडि मुणिसुव्वयस्स कोडितिगं / नमितित्थे इगकोडी सिद्धा तेणेस कोडिसिला / / 18 / / छत्ते सिरंमि गीवा वच्छे उअरे कडीइ उरूसू / जाणू कहमवि जाणू नीया सा वासुदेवेण / / 19 / / इअ कोडिसिलातित्थं तिहुअणजणजणिअनिव्वुआवत्थं / सुरनरखेअरमहिअं भवियाणं कुणउ कल्लाणं / / 20 / / // इति श्रीकोटिशिलातीर्थकल्पः //