________________ 224 ] महोपाध्यायश्रीमन्मेघविजयविरचितम् [ श्रीनेमिनाथ पितरावीयतुस्तस्या विवाहं चक्रतुस्तयोः / सूरकान्ते सुहृद्भूतौ कुमारोक्त्या गतौ पुरे।५४। तृष्णक कुमारथूताधः स्थितो मन्त्री स चोदकम् / ___ आनयत् तावता नैक्षि राजसस्तेन तत्पदे // 55 // विलपन खेचराभ्यां स निन्येऽपराजितान्तिकम् / उभे कन्ये च भुवनभानोयूंढः स राजभूः // 56 // निर्गत्य निश्यनामन्त्र्य श्रीमन्दिरमुपेयतुः / नृपस्य क्षुरिकाघातान् नृणां कोलाहलोऽभवत् // 57 // मणेर्जलं नृपोऽपायि मूलिकालेपनाजलैः / पटूचक्रे कुमारेण नृपः कृपालुनाऽमुना // 58 // ददौ चाऽयं सुतां रम्भा कुमाराय तया समम् / ' रममाणस्ततौ रात्रौ निरगान मन्त्रिणा सह // 59 // ततः कुण्डपुरेऽनंसीदेकं केवलिनं मुनिम् / भव्योऽहं यदि वाभव्य इत्यपृच्छच्च तं तदा // 60 // भविष्यसि त्वं द्वाविंशो जिनः पश्चमके भवे / त्वन्मित्रं च गणधरो जम्बूद्वीपस्य भारते // 61 // दिनानि कतिचित् तत्राऽतिवाह्य तौ प्रचेरतुः / स्थाने स्थानेऽर्हतां चैत्यवन्दनायोत्सुकौ भुवि // 62 // जनानन्दपुरे राजा जितशत्रुर्महाभुजः / धारिणी स्त्री तयोः पुत्री पुरा रत्नवतीभवे // 63 // अभूत् प्रीतिमती नाम्ना कलाकौशलशालिनी / ___ यो मां कलाबलाज्जेता तस्याऽहं सहचारिणी // 64 // पणं पुत्र्या नृपो मत्वा स्वयंवरपदं नवम् / आकारयत् देशभूपान् खेटानाजूहवजनैः // 65 // अपराजितोऽपि तत्र मन्त्रिणा सममाययौ / गुटिकायाः प्रयोगेण परावृत्तस्वरूपभाक् // 66 // स्थितेषु सर्वभूपेषु नरयानस्थिता कनी / मश्चान्तरमवातारीत् प्रीत्या प्रीतिमती ततः // 67 // जरती स्त्री पुरोभूय देशवर्णनकारिणी / वंशान नृपाणामभणत् स्तुवती पौरुषाकृती // 68 // नृपानेतान् दक्षता विभावय वचोरसैः / तयेत्युक्ता प्रीतिमती पूर्वपक्षमवोचत // 69 // रूपेणाऽस्याः स्वरूपेणाऽलङ्काराणां तनौ गिरि / पक्षप्ररूपणादाक्ष्यात् साक्षात् सरस्वती क्षणात् // 70 //