________________ चरितम् ] लघुत्रिषष्टिशलाकापुरुषचरितम् [ 133 कालेन कियता शान्तकोपः सोऽपश्यदानतम् / संघ तदनुरोधेनामोचि तन्नमुचिः पुनः // 54 // ततः प्रभृति तस्याख्या त्रिविक्रम इति क्रमात् / ___पप्रथे तत्पथेनाऽभूल्लोके गोवर्द्धनाक्रमः // 55 // कौमारे पञ्चशत्याब्दी सैव माण्डलिकश्रियाम् / दिग्जये त्र्यब्दशतिका व्रते दशसहस्रिका // 56 // अष्टादशसहस्री च वर्षसप्तशतीयुता / त्रिंशद्वर्षसहस्रायुः सकलं पद्मचक्रिणः // 57 // तपांसि तप्यताऽनेन चक्रिणाऽलंभि केवलम् / बोधयित्वा भव्यजीवान् संप्रापि पदमव्ययम् // 58 // श्रीहेमचन्द्रोदितजैनवाक्याम्भोधेविंशोधेरिव शुद्धबोधे / उद्धृत्य मेधेन भृते सुधायाः कुम्भोपमे षष्ठमदीपि पर्व // 59 // इति श्रीलघुत्रिपष्टीयचरिते विनयविलासनाम्नि महापद्मचरितं संपूर्णम् // ग्रं. 59 श्लोकाः श्रीपद्मचरितम् / नत्वा श्रीनाभिजन्मानमिक्ष्वाकुवंशकारणम् / . . भव्यनिषेव्य श्रीपार्श्व वर्द्धमानं गुणश्रिया // 1 // मुनिसुव्रततीर्थेशः शासने भासने भुवः / जातयोश्चरितं वच्मि पद्मलक्ष्मणयोः श्रिये // 2 // जम्बूद्वीपे जगद्दीपे भरतं तस्य वृत्तिमत् / दिदीपे नगरी तत्र धात्री नाम्नाऽत्र कौशला // 3 // तत्र चक्री द्वितीयोऽभूत् अद्वितीयः स तेजसा / - सगरः सागरं जेता गाम्भीर्यान्मात्रयाऽधिकम् // 4 // चकम् // 4 // तत्पृष्टेऽजिततीर्थेशे विद्यमाने महाम्बुधौ / घनवाहननामाऽस्थाद् भीमस्य रक्षसः स्थले // 5 // तवृत्तं पूर्वमेवोक्तं राजाऽथ घनवाहनः / न्यास्थन् महारक्षसं स्वं पुत्रं राज्ये महौजसम् // 6 // स्वयं चाऽजिततीर्थेशाद् व्रतीभूय ययौ शिवम् / महारक्षा देवरक्षस्सु तेराज्यमदीधरत् // 7 // राक्षसद्वीपनाथेषु व्यतिक्रान्तेष्वसंख्यया / एकादशाऽहत्तीर्थेऽभूत् कीर्तिधवलसंज्ञितः // 8 //