________________ चरितम् ] लघुत्रिषष्टिशलाकापुरुषचरितम् . [131 m पद्मस्य मात्रा पूजार्थमर्हद्रथः पटकृतः / लक्ष्म्या ब्रह्मरथोऽकारि राज्ञाऽवारि द्वयोर्धमः / / 23 / / अपमानात् महापद्मो निशि निर्गत्य तत्पुरात् / भ्रमन्नटव्यां संप्राप श्रमवांस्तापसाश्रमम् // 24 // तत्रैका स्त्री नागवती चम्पाभूपस्य साश्रमे / दुहित्रा मदनावल्या समं तिष्ठति भीतिभाक् // 25 // युद्धे कालनृपादेशान्ननाश जनमेजयः / नागवत्यथ तत्राऽस्थान् नंष्ट्वा तापसयोगतः // 26 // पद्मन मदनावल्या अनुरागं विमृश्य सा। . नैमित्तिकोक्तं विस्मरसि चक्रिप्रिया भविष्यसि // 27 // पुरुषे यत्र वा तत्र माऽनुरागं वृथा कृथाः। __इत्युक्ता नागवत्याऽयं चचाल तापसाश्रमात् // 28 // गतोऽसौ सिन्धुसदने स्त्रीणां हल्लीसके गजात् / * रक्षिते तं वशीकृत्य राज्ञाऽबोधि कुलोद्भवः // 29 // कन्याशतं स्वतः प्रीत्या पद्मेन पर्यणाययत् / . समयं गमयामास भुजानो विषयान् पुनः // 30 // वेगवत्याऽन्यदा सुप्तोऽपजहे राजसूनिशि / वैताढये नगरे सूरोदयाख्येऽनीयत ज्ञया // 31 // विनीयास्यान्तिकं तं चेन्द्रधनुः खेचरेशितुः / : श्रीकान्तात्मभुवा कन्या स्वपुत्र्या परिणायितः // 32 // एतस्या जयचन्द्राया विवाहे मातुलाङ्गजौ / योद्धकामौ समायातौ गङ्गाधरमहीरुहौ // 33 // तौ पद्मेन जिताविन्द्रधनुरादिष्टविद्यया / तत्रैवोत्पन्नचक्रादिरत्नैः पद्मो नृपः श्रितः // 34 // मागधादिक्रमाद् भूमि भारती समसाधयत् / - षट्खण्डराज्यमप्राज्यं मेने स्त्रीरत्नवर्जितः // 35 // आश्रमे पुनरागंत्रे चक्रिणे मदनावलीम् / जनमेजयराजोऽपि ददौ तस्मै स मण्डलम् // 36 // सुव्रते गणराजेऽपि मुनिसुव्रतदीक्षिते / पद्मोत्तरः प्रवत्राज विष्णुना सह सात्त्विकः // 37 // द्वादशाब्दाभिषेकेण स्थापितः पद्मचक्रभृत् / आर्हतं रथमुत्साहानगरेऽभ्रमयत्तराम् // 38 // चैत्यान्यकारयत् सर्वनगरग्रामसङ्गमे / पनोत्तरे सिद्धिमाप्ते नमुचिर्वरमस्मरत् // 39 //