________________ . Ps उत्तराध्ययन : एक समीक्षात्मक अध्ययन / कम्बल, प्रक्रुद्धकात्यायन, संजयवेलठ्ठीपुत्र और निम्रन्थ ज्ञातपुत्र-इन छहों को तीर्थङ्कर नाग-पूजा भगवान् ऋषभ के पुत्र भरत के समय में प्रचलित हुई थी।' भक्ति का मूल उद्गम द्रविड प्रदेश है, अतः वह भी आर्य-पूर्व हो सकती है / 3 गंगा-यमुना आदि नदियों का वेदों में उल्लेख नहीं है और ब्राह्मण-ग्रन्थों में वे बहुत पवित्र और देवता रूप मानी गई हैं / जैन-सूत्रों में भवनवासी देवों के दस चैत्य-वृक्ष बतलाए गए हैं / जैसे- . असुरकुमार -अश्वत्थ नागकुमार -सप्तपर्ण- सात पत्तों वाला पलाश सुपर्णकुमार -शाल्मली- सेमल . विद्य कुमार -उदुम्बर अग्निकुमार -सिरीस दीपकुमार -दधिपर्ण उदधिकुमार -वंजुल-अशोक . दिशाकुमार -पलाश--तीन पत्तों वाला पलाश वायुकुमार -वन स्तनितकुमार –कर्णिकार- कणेर४ इसी प्रकार व्यन्तर देवों के भी आठ चैत्य-वृक्ष बतलाए गए हैंपिशाच -कदम्ब -तुलसी यक्ष -बरगद राक्षस -खट्वांग किन्नर -अशोक किंपुरुष -चंपक नाग या महोरग -नाग गन्धर्व -तिन्दुक भूत १-दीघनिकाय (सामअफल सुत्त), प्रथम भाग, पृ० 56-97 / २-आवश्यकनियुक्ति, 218 / ३-पद्मपुराण, उत्तरखण्ड, 5051 : उत्पन्ना द्राविडे चाहम् / ४-स्थानांग, 101736 / ५-वही, 8 / 654 /