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________________ 458 उत्तराध्ययन : एक समीक्षात्मक अध्ययन अगणिं व पक्खन्द पयंगसेणा जहेह सीहो व मियं गहाय नागो जहा पंकजलावसन्नो जहा य अग्गी अरणीऽसन्तो खीरे घयं तेल्ल महातिलेसु पंखा विहूणो व्व जहेह पक्खी भिच्चा विहूणो व्व रणे नरिन्दो विवन्नसारो वणिओ व्व पोए जुण्णो व हंसो पडिसोत्तगामी जहा य भोई ! तणुयं भुयंगो, निम्मोयणि हिच्च पलेइ मुत्तो छिन्दत्तु जालं अबलं व रोहिया, मच्छा जहा.... . नहेव कुंचा समइक्कमन्ता, तयाणि जालाणि दलित्तु हंसा पक्खिणि पंजरे वा गिद्धोवमे उरगो सुवण्णपासे व नागो व्व बन्धणं छित्ता, अप्पणो वसहिं वए विसं तालउडं जहा विसमेव गरहिए अमयं व पूइए विज्जुसंपायचंचलं उम्मत्तो व्व महिं चरे देवे दोगुन्दगे चेव विसफलोवमा फेणबुब्बुयसन्निभे जहा किम्पागफलाणं परिणामो न सुन्दरो गुरुओ लोहमारो व्व आगासे गंगसोउ व्व पडिसोओ व्व दुत्तरो बाहाहि सागरो वालुयाकवले असिधारागमणं अहीवेगन्तदिट्ठीए 12 / 27 13 / 22 13 / 30 14 / 18. 14 / 18 14 / 18 14 / 30 14 / 30 14 / 30 14.33 14 / 34 14/35 14 / 36 14 / 41 14 / 47 14 / 47 14 / 48 16.13 17 / 20 1721 18 / 13 18151 16 / 3 1611 1913 16 / 17 1635 16 / 36 16 // 36 16 / 37 16 // 37 16 / 38
SR No.004302
Book TitleUttaradhyayan Ek Samikshatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Shwetambar Terapanthi Mahasabha
Publication Year1968
Total Pages544
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size8 MB
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