________________ 440 उत्तराध्ययन : एक समीक्षात्मक अध्ययन नापुट्ठो वागरे किंचि, पुट्ठो वा नालियं वए। कोहं असच्चं कुब्वेज्जा, धारेज्जा पियमप्पियं // (1 / 14) अप्पा चेव दमेयव्वो, अप्पा हु खलु दुद्दमो। अप्पा दन्तो सुही होइ, अस्सि लोए परत्य य // (1 / 15) पडिणीयं च बुद्धाणं, वाया अदुव कम्मुणा। आवी वा जइ वा रहस्से, नेव कुज्जा कयाइ वि // (1 / 17) कालीपव्वंगसंकासे, किसे धमणिसंतए / मायन्ने असणपाणस्स, अदीणमणसो चरे // (2 // 3) पुछो य दसमसएहिं, समरेव महामुणी। नागो संगामसीसे वा, सूरो अभिहणे परं // (2 / 10) एग एव चरे लाढे, अभिभूय परीसहे / गामे वा नगरे वावि, निगमे वा रायहाणिए // (2018) असमाणो चरे भिक्खू, नेव कुज्जा परिग्गह। असंसत्तो गिहत्थेहिं, अणिएओ परिव्वए // सुसाणे सुन्नगारे वा, रुक्खमूले व एगओ। अकुक्कुओ निसीएज्जा, न य वित्तासए परं / / (2 / 16, 20) स्रोच्चाणं फरुसा भासा, दारुणा गामकण्टगा। तुसिणीओ उवेहेज्जा, न ताओ मणसीकरे // (2 / 25) अणुक्कसाई अप्पिच्छे, अन्नाएसी अलोलुए। रसेसु नाणुगिज्झेज्जा, नाणुतप्पेज्ज पन्नवं // (2 / 36) खेत्तं वत्थं हिरण्णं च, पसवो दासपोरुष / चत्तारि कामखन्धाणि, तत्थ से उववज्जई // (3 / 17) असंखयं जीविय मा पमायए, जरोवणीयस्स हु नत्थि ताणं। एवं वियाणाहि जणे पमत्ते, कण्णू विहिंसा अजया गहिन्ति // (41)