________________ खण्ड 2, प्रेकरण : 4 व्यक्ति परिचय 37 भगवान् ने जीव का अस्तित्व साधा। इन्द्रभूति ने अपने पाँच सौ शिष्यों सहित भगवान् का शिष्यत्व स्वीकार कर लिया। गौतम भगवान् के प्रथम गणधर थे। ये 50 वर्ष तक गृहस्थ, तीस वर्ष तक छद्मस्थ तथा बारह वर्ष तक केवली पर्याय में रहे और अन्त में अनशन कर 62 वर्ष की अवस्था में (ई० पू० 515 में) राजगृह के वैभारगिरि पर्वत पर मुक्त हो गए। ......... ___ जैन-आगमों में गौतम द्वारा पूछे गए प्रश्न और भगवान् द्वारा दिए गए उत्तरों का सुन्दर संकलन है। हरिकेसबल (अध्ययन 12) देखिए-उत्तरज्झयणाणि, पृ० 141, 142 / कौशलिक (12 / 20) कौशलिक कोशल देश के राजा का नाम है। यहाँ कोशलिक से कौन-सा राजा अभिप्रेत है यह स्पष्ट उल्लिखित नहीं है। कौशलिक पुत्री की घटना वाराणसी में घटित हुई। काशी पर कौशल देश का प्रभुत्व महाकोशल और प्रसेनजित् के राज्यकाल में रहा है। इससे यह अनुमान किया जा सकता है कि कौश लिक महाकोशल या प्रसेनजित् के लिए प्रयुक्त है। महाकौशल के साथ कौशलिक राष्ट्र का अधिक निकट सम्बन्ध है / संभव है यहाँ वह उसी के लिए व्यवहृत हुआ हो। भद्रा (12 / 20) महाराज कौशलिक की पुत्री। देखिए-उत्तरज्झयणाणि, पृ० 141, 142 / चुलगी (13 / 1) ___यह काम्पिल्यपुर के राजा 'ब्रह्म' की पटरानी और अन्तिम चक्रवर्ती ब्रह्मदत्त की. माँ थी। उत्तरपुराण (73 / 287) में इसका नाम 'चूड़ादेवी' दिया गया है। ब्रह्मदत्त (13 / 1) - इसके पिता का नाम 'ब्रह्म' और माता का नाम 'चुलणी' था। इनका जन्मस्थान पाञ्चाल जनपद में कंपिल्यपुर था। महावग्गजातक में भी चूलनी ब्रह्मदत्त को पाञ्चाल का राजा माना है / ये अंतिम चक्रवर्ती थे। आधुनिक विद्वानों ने इनका अस्तित्व काल ई० पू० दसवीं शताब्दी के आस-पास माना है।' चित्र, सम्भूत (अध्ययन 13) देखिए-उत्तराज्यणाणि, पृ० 153-156 / १-केम्ब्रिज हिस्ट्री ऑफ इण्डिया, भाग 1, पृ० 180 / .......