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________________ 340 उत्तराध्ययन : एक समीक्षात्मक अध्ययन बौद्ध-कथावस्तु का संक्षिप्त सार बौद्ध-कथावस्तु के आठ पात्र हैं (1) राजा एसुकारी (2) पटरानी (3) पुरोहित (4) पुरोहित की पत्नी (5) पुत्र हस्तिपाल (6) दूसरा पुत्र अश्वशाल (7) तीसरा पुत्र गोपाल (8) चौथा पुत्र अजपाल न्यग्रोध-वृक्ष के देवता के वरदान से पुरोहित के चार पुत्र उत्पन्न होते हैं। चारो प्रत्रजित होने के लिए प्रस्तुत होते हैं। पिता उनकी परीक्षा करता है। पिता और पुत्रों में संवाद होता है। चारों बारी-बारी से पिता के समक्ष जीवन की नश्वरता, संसार की असारता, मृत्यु की अविकलता और काम-भोगों की मोहकता का प्रतिपादन करते हैं / चारों दीक्षित हो जाते हैं। पुरोहित भी प्रव्रजित हो जाता है। अगले दिन ब्राह्मणी भी प्रवज्या ले लेती है / राजा-रानी भी प्रवजित हो जाते हैं। एक विश्लेषण उत्तराध्ययन की भूमिका में सरपेन्टियर ने लिखा है कि 'यह.कथानक जातक के गद्य भाग से आश्चर्यकारी समानता प्रस्तुत करता है और वस्तुतः यह प्राचीन होना चाहिए। डॉ० घाटगे ने जैन-कथावस्तु को व्यवस्थित, स्वाभाविक और यथार्थ बताया है / उनकी मान्यता है कि जन-कथावस्तु जातक से प्राचीन है। उन्होंने जैन-कथावस्तु की जातक से तुलना करते हुए लिखा है-"जातक में संगृहीत कथावस्तु पूर्ण है और पुरोहित के चारों पुत्रों के जन्म का विस्तृत वर्णन प्रस्तुत करती है। यह वर्णन जैन-कथावस्तु में नहीं है। / 1. The Uttaradhyayana Sutra, Page 332, Foot note No. 2; This legend certainly presents a rather striking resemblance to the prose introduction of the Jataka 509, and must consequently be old.
SR No.004302
Book TitleUttaradhyayan Ek Samikshatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Shwetambar Terapanthi Mahasabha
Publication Year1968
Total Pages544
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size8 MB
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