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________________ -चार उत्तराध्ययन एक : समीक्षात्मक-अध्ययन - 45 - 49 rrrr 9 06954 71 74 :व्रत :जैन-धर्म और व्रत-परम्परा : ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह महाव्रत : संन्यास या श्रामण्य : यज्ञ-प्रतिरोध और वेद का अप्रामाण्य : जाति की अतात्त्विकता : समत्व की भावना व अहिंसा 57 प्रकरण : तीसरा 60-76 श्रमण और वैदिक परम्परा की पृष्ठभूमि : दान : स्नान : कतृ वाद 67 : आत्मा और परलोक : स्वर्ग और नरक : निर्वाण प्रकरण : चौथा 77-89 1. आत्म-विद्या-क्षत्रियों की देन 77 : आत्म-विद्या की परम्परा : कर्म-विद्या और आत्म-विद्या : आत्म-विद्या और वेद : श्रमण-परम्परा और क्षत्रिय : आत्म-विद्या के लिए ब्राह्मणों द्वारा क्षत्रियों की उपासना : आत्म-विद्या के पुरस्कर्ता : ब्राह्मणों की उदारता : आत्म-विद्या और अहिंसा प्रकरण : पाँचवाँ 60-119 1. महावीर कालीन मतवाद 2. जैन-धर्म और क्षत्रिय 3. भगवान् महावीर का विहार-क्षेत्र 4. विदेशों में जैन-धर्म 5. जैन-धर्म-हिन्दुस्तान के विविध अंचलों में 77 GmW Wom
SR No.004302
Book TitleUttaradhyayan Ek Samikshatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Shwetambar Terapanthi Mahasabha
Publication Year1968
Total Pages544
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size8 MB
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