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________________ 155 खण्ड 1, प्रकरण : 7 २-योग आतापना-योग तीन प्रकार का है (1) उत्कृष्ट- गर्म शिला आदि पर लेट कर ताप सहना / (2) मध्यम- बैठ कर ताप सहना / .. (3) जघन्य- खड़े रह कर ताप सहना / ' उत्कृष्ट आतापना के तीन प्रकार हैं (1) उत्कृष्ट-उत्कृष्ट- छाती के बल लेट कर ताप सहना / (2) उत्कृष्ट-मध्यम- दाएँ या बाएँ पाश्व से लेट कर ताप सहना / (3) उत्कृष्ट-जघन्य- पीठ के बल लेट कर ताप सहना / .... मध्यम आतापना के तीन प्रकार हैं (1) मध्यम-उत्कृष्ट- पर्यङ्कासन में बैठ कर ताप सहना / (2) मध्यम-मध्यम----- अर्ध-पर्यङ्कासन में बैठ कर ताप सहना / (3) मध्यम-जघन्य- उकडू आसन में बैठ कर ताप सहना / जघन्य आतापना के तीन प्रकार हैं (1) जघन्य-उत्कृष्ट- हस्तिशुण्डिका। एक पैर को प्रसार कर ताप सहना / १-बृहत्कल्प भाज्य, गाथा 5945 : आयावणा य तिविहा, उक्कोसा मज्झिमा जहण्णा य / उक्कोसा उ निवण्णा, निसण्ण मज्झाट्ठिय जहण्णा // २-वही, गाथा 5946 : तिविहा होइ निवण्णा, ओमत्थिय पास तइयमुत्ताणा। उक्कोसुक्कोसा उक्कोसमज्झिमा उक्कोसगजहण्णा // ३-वही, गाया 5947,48: मझक्कोसा दुहओ वि मज्झिमा मज्झिमा जहण्णा य / ... अहमुक्कोसाऽहममज्झिमा य अहमाहमाचरिमा // 'पलियंक अद्धक्कुडुग भो य तिविहा उ मज्झिमा होइ। तइया उ हस्थिसुंडेगपाद समपादिगा चेव // ४-वही, गाथा 5947-48 / ५-वही, गाथा 5948, वृत्ति : पुताभ्यामुपविष्टस्यैकपादोत्पाटनरूपा। बृहत्कल्प भाज्य, वृत्ति 5953 में हस्तिशुण्डिका को निषद्या का एक प्रकार माना है और जघन्य आतापना में खड़ा रहने का विधान है। वस्तुतः इस आसन में बैठने और खड़ा रहने का मिश्रण है।
SR No.004302
Book TitleUttaradhyayan Ek Samikshatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Shwetambar Terapanthi Mahasabha
Publication Year1968
Total Pages544
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size8 MB
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