________________ 1. बहिरङ्ग परिचय : दशवकालिक और आचारांग-चूलिका 61 पुरेकम्मेण हत्थेण, तहप्पगारेण पुरेकम्मकएणं हत्थेण वा दव्वीए भायणेण वा। (4) असणं वा (4) अफासुयं अणेसणिज्जं देंतियं पडियाइक्खे, जाव णो पडिगाहेज्जा, अह पुण एवं जाणेज्जा णो उदउल्लेणं..... एवं न मे कप्पइ तारिसं // ससरक्खे, मट्टिया, उसे, हरियाले, हिंगुलए, (5 / 1 / 32) मणोसिला, अंजणे, लोणे, गेरुय, वन्निय, (एवं) उदओल्ले ससिणिद्धे, सेढिय, सोरठिय, पिठ्ठ, कुक्कुस, उक्कुट्ठ ससरक्खे मट्टिया ऊसे। संस?ण / हरियाले हिंगुलए, (2 / 1 / 6 / 63) मणोसिला अंजणे लोणे // . (5 // 1 // 33) गेरुय वणिय सेडिय, सोरट्ठिय पिट्ठ कुक्कुस कए य। उक्कट्ठमसंसट्ठ संस? चेव - बोधव्वे // (5 / 1 / 34) अह पुण एवं जाणेज्जा, णो असंस?, संसट्ठ। तहप्पगारेण संस?ण हत्थेण वा ( 4 ) असणं वा ( 4 ) फासुयं जाव पडिगाहेज्जा। (2 / 1 / 6 / 64) असंसट्ठण हत्थेण, दव्वीए भायणेण' वा। दिज्जमाणं न इच्छेज्जा, पच्छाकम्मं जहिं भवे / / (5 / 1 / 35) संस?ण हत्थेण, दव्वीए भायणेण वा। दिज्जमाणं पडिच्छेज्जा, जं तत्थेसणियं भवे / / (5 / 1 / 66)