________________ ५-निरुक्त निरुक्त का अर्थ है-शब्दों की व्युत्पत्ति-परक व्याख्या। इस पद्धति में शब्द का मूलस्पर्शी अर्थ ज्ञात हो सकता है / आगम के व्याख्यात्मक-साहित्य में इस पद्धति से शब्दों पर बहुत विचार हुआ है / उनकी छानबीन से शब्द की वास्तविक प्रकृति को समझने में बहुत. सहारा मिलता है और अर्थ भी सही रूप में पकड़ा जाता है। जिनदास चूर्णि में अनेक निरुक्त दिए गए हैं / उनका संकलन शब्द-बोध में सहायक है / कुछ निरुक्त ये हैं : दुम दुमा नाम भूमीय आगासे य दोसु माया दुमा / ' पादा ___ पादेहिं पिबंतीति पादपाः / / रुक्ख रुत्ति पुहवी खत्ति आगासं तेसु दोसुवि जहा ठिया तेण रुक्खा / 3 विडिम-- विडिमाणि जेण अत्थि तेण विडिमा / 4 अगम ण गच्छंतीति अगमा !" तरव ___णदीतलागादीणि तेहिं तरिजंति तेण तरवो / 6 . कुह कुत्ति पिथिवी तीए धारिजंति तेणं कुहा।" महील्ह महीए जेण रुहंति तेण महीरुहा / / १-जिनदास चूर्णि, पृ० 10 / २-वही, पृ० 10 // ३-वही, पृ० 11 / ४-वही, पृ० 11 / ५-जिनदास चूर्णि, पृ० 11 / ६-वही, पृ० 11 / ७-वही, पृ० 11 / .. -वही, पृ० 11 /