________________ 127 4. चर्यापथ : चर्या और विहार से पालन करे / ' छोटे-बड़े, स्त्री-पुरुष, गृहस्थ-साधु-किसी का तिरस्कार न करे / 2 तीर्थकर के वचन में स्थिर रहे / अधन-अकिंचन बना रहे / गृहपति की आज्ञा लिए बिना चिक आदि को हटा कर अन्दर प्रवेश न करे। बहुश्रुत के पास बैठे, अर्थ का निश्चय करे। बहुश्रुत का उपहास न करे / 5 भोजन कर स्वाध्याय में लीन हो जाए।६ कभी भयभीत न हो / सुख-दुख में सम रहे। भोग-प्राप्ति का संकल्प न करे।' कुतूहल न करे। ऋद्धि, सत्कार और पूजा को त्यागे / 10 स्थितात्मा बने / 11 रूप और लाभ का मद न करे / 12 १-वही, 8 / 60 / २-वही, 9 / 3 / 12 / ३-वही, 10 / 6 / . . ४-वही, 51318 / 5- वही, 8 / 43,49 / ६-वही, 10 / 9 / ७-वही, 10 / 12 / ८-वही, 10 / 11 / ९.-वही, 10 / 13 / १०-वही, 10 // 17 // ११-वही, 10 / 17 / १२-वही 10 / 19 /