________________ | टिप्पणियाँ :1. सूरदास एवं नरसिंह मेहता - डॉ० भ्रमरलाल जोशी - पृ० 167 2. - शृंगारहास्यकरुणरौद्रवीरभयानकाः। बीभत्सोऽद्भुत इत्यष्टौ रसाः शांतस्तथा मतः॥ 182 साहित्यदर्पण तृतीय-परिच्छेद 3. सूरदास - आचार्य रामचन्द्र शुक्ल - पृ० 167 हरिवंशपुराण सर्ग 35/29 - पृ० 451 5. हरिवंशपुराण सर्ग 35/35-36 - पृ० 452 हरिवंशपुराण सर्ग 35/57-58 - पृ० 455 सूरसागर पद सं० 639 - पृ० 264 8. सूरसागर पद सं० 793 - पृ० 319 सूरसागर पद सं० 717 - पृ० 295 10. सूरसागर पद सं० 898 - पृ० 355 11. सूरदास और नरसिंह मेहता - डॉ० धरमलाल जोशी - पृ० 184 12. हरिवंशपुराण सर्ग 35/65.67 - पृ० 456 13. हरिवंशपुराण सर्ग 42/74-75 - पृ० 509 14. हरिवंशपुराण सर्ग 42/76 - पृ० 509 15. हरिवंशपुराण सर्ग 42/104 - पृ० 512 16. सूरसागर पद सं० 1347 - पृ० 574 17. सूरसागर पद 1608 - पृ० 603 / / 18. सूरसागर पद 2067 - पृ० 761 19. . सूरसागर पद सं० 2172 - पृ० 796 20. सूरसागर पद सं० 3452 - पृ० 1126 21. सूरसागर पद सं० 3599 - पृ० 1192 22. * सूरसागर पद सं० 3828 - पृ० 1255 23. सूरसागर पद सं० 4691 - पृ० 1467 24. हरिवंशपुराण सर्ग 42/5-6 - पृ० 514 25. हरिवंशपुराण सर्ग 42/13-15 - पृ० 515 26. सूरसागर पद सं० 897 - पृ० 354 27. सूरसागर पद सं० 952 - पृ० 371 28. हरिवंशपुराण सर्ग 50/130-132 - पृ० 633 - - - - - -