________________ की सुकुमारता को उल्लंघन कर विद्यमान थे। कलहंस के समान सुन्दर चाल से सुशोभित उस कन्या की स्थूल जघनस्थली अनेक रसों से परिपूर्ण वर्ण वाले कुलाचलों से उत्पन्न स्त्रियों के लिए हर्ष उत्पन्न करने वाली पुण्यरूपी, नदी की उस पुलिन भूमि-तट भूमि के समान सुशोभित होने लगी, जो काम की अभूमि-अगोचर तथा नितम्बरूपी सुन्दर तटों से युक्त थी। शिरीष के फूल के समान कोमल और उत्तम कंधों युक्त कोमल शंख के समान कंठ, ठुड्डी, अधरोष्ठरूपी बिम्बफल, प्रकृष्ट हास्य युक्त श्वेत कपोल कुटिल भौंहे, ललाट तट एवं काले तथा विशाल नेत्रों से सहित वह चन्द्रमुखी कन्या अत्यधिक सुशोभित हो रही थी। . उपर्युक्त विवेचनानुसार हरिवंशपुराण में युद्ध वर्णन, स्थल वर्णन, ऋतु वर्णन, सौन्दर्य वर्णन, श्रृंगार वर्णन तथा युद्ध वर्णन इत्यादि के बड़े ही सजीव, मनोरम तथा आकर्षक चित्र मिलते हैं। वर्णन-कौशल की दृष्टि से जिनसेनाचार्य को पूर्ण सफलता मिली है। (ख) सूरसागर का वर्णन कौशल : "सौन्दर्योपासना" मानव-मन की स्वाभाविक प्रवृत्ति + है, यही कारण है कि अनादि काल से उसकी यह उपासना अनवरत गति से चला आ रही है। काव्य जगत में मानव के समस्त कार्य-व्यापारों में चाहे वे आन्तरिक हो या बाह्य सौन्दर्य की प्रतिष्ठा करने का सफल प्रयास किया गया है। इसमें तनिक भी सन्देह नहीं कि सूर की काव्य-प्रतिभा असीम है। जिस विषय को इन्होंने अपना प्रतिपाद्य बनाया, उसे उन्होंने अत्यन्त ही प्रौढ़ता प्रदान की है। वैसे उन्होंने सीमित सौन्दर्य को ही अपने काव्य का विषय बनाया है जिसमें श्री कृष्ण व राधा का शारीरिक सौन्दर्य प्रमुख है। इस वर्णन में कृष्ण की प्रायः समस्त लीलाओं की रंगस्थली प्रकृति भी मनोरम रूप से चित्रित हुई है। प्रकृति सौन्दर्य वर्णन में सूर ने न केवल रम्य चित्र ही प्रस्तुत किये हैं वरन् कवि की भावानुभूति को भी अधिक सम्प्रेषणीय बनाया है। प्रभात, रात्रि, सन्ध्या, वृन्दावन, गोकुल, यमुना, वर्षा ऋतु, वसन्त ऋतु के चित्रण भी अत्यन्त सजीव हो गये हैं। - सूर के वर्णन कौशल से हिन्दी साहित्य के सहृदय पाठक परिचित हैं। अनेक अनुसंधानकर्ताओं ने इस विषय पर गहन एवं विशद चर्चा की है। परन्तु उन सबका वर्णन करना यहाँ अपेक्षित नहीं है। ... सूरसागर के वर्णन बड़े ही विलक्षण एवं मनभावन हैं। वर्णन-कौशल में सूर अत्यन्त सजग एवं भाव-प्रवण है। इनके वर्णनों में पारम्परिक उपमानों का प्रयोग होने के उपरान्त भी कवि की विलक्षण प्रतिभा एवं सशक्त कल्पना शक्ति स्पष्टतया परिलक्षित होती है। सूर के कुछ वर्णन उदाहरणार्थ द्रष्टव्य हैं