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________________ 224 : जैनधर्म के सम्प्रदाय उल्लेख हुआ मिलता है। दिगम्बर परम्परा द्वारा मान्य चारित्रसार', उपासकाध्ययन२, रत्नकरण्डकश्रावकाचार, ज्ञानार्णव, लाटीसंहिता, कार्तिकेयानुप्रेक्षा', सागारधर्मामृत, वसुनन्दिश्रावकाचार तथा अमितगतिश्रावकाचार आदि ग्रन्थों में श्रावक की ग्यारह प्रतिमाओं का उल्लेख उपलब्ध है। श्वेताम्बर एवं दिगम्बर दोनों परम्पराओं द्वारा मान्य साहित्य का अध्ययन करने से ज्ञात होता है कि इन दोनों परम्पराओं में ग्यारह प्रतिमाओं के जो नाम गिनाए गये हैं, उनमें आंशिक अन्तर है। यहाँ हम दोनों परम्पराओं के अनुसार उल्लिखित प्रतिमाओं का नामोल्लेख कर श्वेताम्बर साहित्यानुसार ग्यारह प्रतिमाएँ-श्वेताम्बर परम्परा द्वारा मान्य साहित्य के अनुसार ग्यारह प्रतिमाएं इस प्रकार हैं (1) दर्शन, (2) व्रत, (3) सामायिक, (4) प्रौषध, (5) नियम, (6) ब्रह्मचर्य, (7) सचित्तत्याग, (8) आरम्भ त्याग, (9) प्रेष्य त्याग, (10) उद्दीष्ट त्याग और (11) श्रमण भूत / दिगम्बर साहित्यानुसार ग्यारह प्रतिमाएं-दिगम्बर परम्परा द्वारा मान्य साहित्य के अनुसार ग्यारह प्रतिमाएं इस प्रकार हैं (1) दर्शन, (2) व्रत, (3) सामायिक, (4) प्रौषध, (5) सचित्त त्याग, (6) रात्रिभोजन त्याग, (7) ब्रह्मचर्य, (8) आरम्भ त्याग, (9) परिग्रह त्याग, (10) अनुमति त्याग और (11) उद्दीष्ट त्याग / दोनों परम्पराओं द्वारा कथित प्रतिमाओं के विवेचन से ज्ञात होता है कि प्रथम चार प्रतिमाओं के नाम दोनों परम्पराओं में समान हैं। 1. चारित्रसार, 24-25 2. उपासकाध्ययन, 853-854 3. रत्नकरण्डकश्रावकाचार, 5 / 15-26 4. ज्ञानार्णव, 27 / 13-14 5. लाटीसंहिता, 733 6. कार्तिकेयानुप्रेक्षा, 339-340 7. सागारधर्मामृत, 7 / 1-37 8. वसुनन्दिश्रायकाचार, श्लोक 274-313 9. अमितगतिश्रावकाचार, 7167-77
SR No.004297
Book TitleJain Dharm ke Sampraday
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuresh Sisodiya
PublisherAgam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan
Publication Year1994
Total Pages258
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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