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________________ 2 : जैनधर्म के सम्प्रदाय में कहीं भी यज्ञवेदी उपलब्ध नहीं हुई है, इससे यही सिद्ध होता है कि भारत में तप एवं ध्यान प्रधान आर्हत परम्परा का अस्तित्व अति प्राचीन काल से ही रहा है। यदि हम जैन धर्म के प्राचीन नामों के सन्दर्भ में विचार करें तो यह सुस्पष्ट है कि प्राचीन काल में यह आर्हत धर्म के नाम से ही प्रसिद्ध रहा है। वास्तविकता तो यह है कि जैन धर्म का पूर्व रूप आहत धर्म था। ज्ञातव्य है कि जैन शब्द महावीर के निर्वाण के लगभग 1000 वर्ष पश्चात् ही कभी अस्तित्व में आया है। सातवीं शती से पूर्व हमें कहीं भी जैन शब्द का उल्लेख नहीं मिलता है। यद्यपि इसके स्थान पर श्रमण धर्म,' निर्ग्रन्थ प्रवचन, जिनशासन, जिनमार्ग, जिनवचन' के उल्लेख प्राचीन हैं / किन्तु अर्हत्, श्रमण, जिन आदि शब्द बौद्धों एवं अन्य श्रमणधाराओं में भी समान रूप से प्रचलित रहे हैं। अतः जैन परम्परा की उनसे पृथक्ता की दृष्टि से पार्श्वनाथ के काल में यह धर्म निग्रंथ धर्म के नाम से जाना जाता था / जैन आगमों से यह ज्ञात होता है कि ई० पू० पाचवीं शती में श्रमणधारा मुख्य रूप से 5 भागों में विभक्त थी१. निर्ग्रन्थ, 2. शाक्य, 3. तापस, 4. गैरुक और 5. आजीवक' / वस्तुतः जब श्रमणधारा विभिन्न वर्गों में विभाजित होने लंगो तो जैन धारा के लिये पहले 'निग्रन्थ' और बाद में 'ज्ञातपुत्रीय श्रमण' शब्द का प्रयोग होने लगा। न केवल पालो त्रिपिटकों एवं जैन आगमों में अपितु अशोक ( ई० पू० 3 शती) के शिलालेखों में भी जैन धर्म का उल्लेख निर्ग्रन्थ धर्म के रूप में हो मिलता है। 1. दशवकालिकसूत्र, 8142 2. (क) व्याख्याप्रज्ञप्ति, 9 / 33 / 30, (ख) ज्ञाताधर्मकथाङ्ग, 11115 3. (क) दशवैकालिकसूत्र, 8 / 25, (ख) ज्ञाताधर्मकथाङ्ग, 11115 (ग) पद्मपुराण 14 / 345, 64 / 45 (घ) हरिवंशपुराण, 11 / 105, 43 / 88 4. पद्मपुराण, 49 / 19, 53 / 67 5. (क) उत्तराध्ययनसूत्र 36 / 260, (ख) पद्मपुराण, 14 / 251 6. पिण्डनियुक्ति, 445 7. (क) निग्गंथ धम्मम्मि इमा समाही-सूयगडो, जैन विश्वभारती लाडन', 216142 (ख) निगण्ठो नाटपुत्तो-दीघनिकाय,महापरिनिव्वाणसुत्त-सुभधपरिवाजक: वत्थन, 3123186
SR No.004297
Book TitleJain Dharm ke Sampraday
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuresh Sisodiya
PublisherAgam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan
Publication Year1994
Total Pages258
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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