________________ 60 नीतिवाक्यामृतम् . नदी का वेग वृक्षों की जड़ को जो उसके चरण के समान हैं-धोते-धोते भी उखाड़ देता हैं जिससे पेड़ गिर जाता है / इसी प्रकार अत्यन्त मृदु व्यवहार करते हुए भी शत्रु का उन्मूलन किया जा सकता है / उत्सेको हस्तगतमपि कार्य विनाशयति // 151 // उत्सेक अर्थात् अपनी शक्ति का मद सिद्ध होते हुए भी काम को बिगाड़ देता है। उपायज्ञ की प्रशंसा(नाल्पं महद्वापक्षेपोपायज्ञस्य / / 152 / / ) शत्रु नाश के विविध उपायों को जानने वाले के लिये छोटा बड़ा किसी प्रकार का उपद्रव या विध्न नहीं होता अर्थात् छोटा बड़ा कैसा भी शत्रु नहीं ठहर सकता। दृष्टान्त(नदीपूरः सममेवोन्मूलयति तीरजतृणाङ्घ्रिपान / / 153 // ) . __ नदी का प्रवाह किनारे के तृणों अर्थात् छोटी मोटी घासों और बड़े-बड़े वृक्षों को समान रूप से विनष्ट कर देता है / युक्त वचन को ग्रहण करना कर्तव्य है(युक्तमुक्तं वचो बालादपि गृह्णीयात् / / 154 / ) बच्चों की भी बात युक्तियुक्त हो तो मान लेनी चाहिए। दृष्टान्त(रवेरविषये किं न दीपः प्रकाशयति / / 155 / ) जहां सूर्य का प्रकाश नहीं पहुंचता क्या वहां दीपक अपना प्रकाश नहीं करता? दृष्टान्त(अल्पमपि वातायनविवरं बहुनुपलम्मयति / / 156 // छोटा सा भी झरोखा या रोशनदान बहुत सी चीजों को प्रकाश में ला देता है / अर्थात् जिस प्रकार किसी अन्धकार पूर्ण स्थान में बनाया गया छोटा सा भी झरोखा बहुत सी चीजों को प्रकाशित कर देता है उसी प्रकार बालक की भी बहुधा नीति पूर्ण और युक्तियुक्त बात अनेक समस्याओं का समाधान कर सकती है। व्यथं बोलने का दोष(पतिवरा इव परार्थाः खलु वाचः, ताश्च निरर्थकं प्रकाश्यमानाः शपयन्त्यवश्यं जनयितारम् // 157 / )