________________ . 28 58] चान्द्रव्याकरणम् [अ० 5, पा० 3, सू० 112-157 112 दरिद्रः किति / 134 अचः / पा०६।४।१३८। पा०६।४।११४ वा०१। 135 उदः ईत् / पा०६।४।१३। 113 अचि अयुवौ / पा०६।४।११४भा०। 136 आतः / पा०६।४।१४०। 114 लुङि वा ।.पा०६।४।११४ वा०३। 137. विंशतेडिति तेः / पा०६।४।१४२।। 115 अस्-दा-धां हौ एत् अद्विश्च। 138 अन्त्याऽजादेः / पा०६।४।१४३। पा०६।४।११६। 136 नः अणादौ / पा०६।४।१४४। . 116 लिटि अनादेशादेः एकहलमध्ये 140 कलाप्यादीनाम् / अतः / पा०६।४।१२०॥ . पा०६।४।१४४ वा०१-५॥ 141 अह्नः खे / पा०६।४।१४५। / 117 थलि इटि / पा०६।४।१२१।। 142 असर्व-असंख्य-एकदेशात् टे। 118 तु-फल-भज-त्रयः / पा०६।४।१२२॥ पा०५।४।८६,८८॥ 116 राधः हिंसायाम् / पा०६।४।१२३। 143 समाहारे / पा०५।४।८। .. 120 वा ज़-भ्रम-त्रसाम् / 144 एकात् / पा०५।४।१०। पा०६।४।१२४। 145 अन्तिकस्य तमे तादेः / 121 फणादीनां सप्तानाम् / पा०६।४।१४६ वा०६। पा०६।४।१२५॥ 146 कादेर्बहुलम् / 122 दम्भ-श्रन्थ-ग्रन्थाम् / पा०६।४।१४६ वा०८। पा०६।४।१२० वा०५। काशिका 147 ओः ओत् / पा०६।४।१४६। . 1 / 2 / 6 / 148 ढे / पा०६।४।१४७। 123 मनि-पचि-मचा नाम्नि / 146 यस्य / पा०६।४।१४८। 124 नशः अङि / पा०६।४।१२० भा०। 150 डयाम् / पा०६।४।१४८। / 125 न शस-दद-वादि-अदेङाम् / 151 मत्स्यस्य यः / पा०६।४।१२६। 106 / 4 / 146 वा०५॥ 126 यचि अशि-सुटि / पा०६।४।१२६। 152 हलः यत्रादेः / पा०६।४।१५०। 127 पादः पत् / पा०६।४।१३०। 153 सूर्य-अगस्त्ययोः छे च / 128 वसोर्व उत् / पा०६।४।१३१।। पा०६।४।१४६ वा०६। 126 श्र-युवन-मघोनाम् अनणादौ / 154 तिष्य-पुष्ययोर्नक्षत्रे अणि / पा०६।४।१३३+वा० 1 // ___पा०६।४।१४६ वा०७॥ 130 अल्लोपः अनः / पा०६।४।१३४। 155 आपत्यस्य अनाति अणादौ / 131 षपूर्व-हन-धृतराज्ञाम् अणि / प।०६।४।१५१ पा०६।४।१३५॥ 156 क्य-व्योः / पा०६।४।१५२। 132 डि-श्योर्वा / पा०६।४।१३६॥ 157 बिल्वकीयादीनाम् ईयः / 133 न संयोगात् व-मः।पा०६।४।१३७। पा०६।४।१५३।