________________ अ० 5, पा० 1, सू० 97-142] चान्द्रव्याकरणम् [51 67 ओष्ठ-ओत्वोः समासे वा। _ 123 न प्लुतः अनितौ / पा०६।११६४ वा०५। पा०६।१।१२५,१२६। 18 शकन्ध्वादयः / पा०६।१।६४ वा०४॥ 124 क्वचिद् वा / पा०६।१।१३०। 66 ओम्-आङोः / पा०६।१।६५॥ 125 ईत्-ऊत्-एत् द्विवचनम् / 100 उसि अनादौ / पा०६।१।६६। पा०६।१।१२५। पा०११११११॥ 101 अतः अदेङि / पा०६।११६७।। 126 अमू अमी / पा० 111 / 12 / 102 अव्यक्तानुकरणस्य अनेकाचः अतः 127 अच् अनाङ / पा०१।१।१४। इतौ / पा०६।१।६८+वा०१॥ 128 ओत् / पा० 111 // 15 // 103 न द्वित्वे / पा०६।१।१६। 126 सौ वा इतौ / पा०१।१।१६। 104 तः वा / पा०६।१।६६। . 130 उन / पा० 111 / 17 / 105 डाचि पूर्वस्य / पा०६।१।६६ वा० 1 // 131 ॐ / पा०१।१।१८॥ 106 अकः अकि दीर्घः / पा०६।१।१०१। 32 कः असस्थाने हस्वश्च असमासे / 107 ऋति ऋतः ऋर्वा / पा०६।१।१२७+वा०१। पा०६।१।१०१ वा०१॥ 133 ऋतलति अकः / पा०६।१।१२८। 108 लृति लः / पा०६।१।१०१ वा०२॥ 134 एतत्-तदोः सुलोपः अकोः 106 प्रथमयोः अचि / पा०६।१।१०२।। अनञ्समासे हलि / पा०६।१।१३२। 110 ततः शसो नः पुंसि। पा०६।१।१०३। 135 दिवः अन्ते च उत् / पा०६।१।१३१॥ 111 न आत् इचि / पा०६।१।१०४। 112 दीर्घात् जसि च / पा०६।१।१०५॥ काशिका 6 / 1 / 131 // 113 अमि पूर्वः / पा०६।१।१०७। 136 सं-परेः कृत्रः सुट / पा०६।१।१३७,१३५॥ 114 यण्इकः / पा०६।१।१०८। 137 उपात् भूषण-समवाय-यत्न-वैकृत्य११५ एङः अति पदादौ। पा०६।१।१०। अध्याहारेषु / पा०६।१।१३७,१३६। 116 सि-डसोः / पा०६।१।११०। 138 किरः लवने / पा०६।१।१४०। 117 ऋतः उत् / पा०६।१।१११॥ 136 हिंसायां प्रतेश्च / पा०६।१।१४१। 118 सख्युः पत्युः / पा०६।१।११२। 140 अपात् चतुष्पात्-शकुनिषु हृष्ट११६ हशि च अतः रोः / __अन्न-कुलायाथिषु / पा०६।१।१४२+ ... पा०६।१।११३,११४। वा०१॥ 120 गोः ओ वा / पा०६।१।१२२॥ 141 अपरस्पराः सातत्ये / 121 अचि अवङ / पा०६।१।१२३। / पा०६।१११४४। * 122 अक्ष-इन्द्रे / पा०६।१।१२४। 142 पारस्करादीनि नाम्नि। . काशिका 6 / 1 / 124,123 // पा०६११११५७॥ . [पञ्चमस्य अध्यायस्य प्रथमः पादः समाप्तः]