________________ 50] चान्द्रव्याकरणम् [अ० 5, पा० 1, सू० 43-96 . 43 वयो यः। पा०६॥१॥३८॥ 72 दीर्घस्य / पा०६।१।७५॥ 44 वेः अपिति वा / पा०६।१।३६,४०। 73 पदान्तस्य वा / पा०६।११७६। . 45 लयपि च / पा०६॥१॥४१॥ 74 इकः यण अचि / पा०६।११७७। 46 ज्यः। पा०६।११४२। 75 एचः अय्-अव-आय-आवः / 47 व्यः। पा०६।१।४३। पा०६।१७८॥ 48 परेर्वा / पा०६।११४४। 76 यि परे अव-आवौ / पा०६।१।७। 46 एचः अशिति आत / पा०६॥१॥४५॥ 77 धातोस्तत्रैव / पा०६।११८०। .. 50 अलिटि व्यः / पा०६।१।४६। 78 गव्यू तिः अध्वमाने / 51 स्फुरि-स्फुलोजि / पा०६।१।४७। पा०६।११७६ वा०३। 52 दीङः अक्ङित्सनि लयपि / 76 शक्ये क्षि-ज्योः अय् / पा०।६।११८१॥ पा०६।१।५।। 80 क्रियः क्रयाथें / पा०६।११८२॥ 53 मि-म्योः अखल्-अचि / 81 द्वयोः एकः / पा०६।१।८४। पा०६।११५०+वा०२। 82 आत् अदेड / पा०६।१८७. .. 54 लियो वा / पा०६॥१॥५१॥ 83 आदैजेवाद्यटः / पा०६।१।६। 55 अपगुरो णमुलि / पा०६।१।५३।। 84 एचि / पा०६।१।८८। 56 चि-स्फुरोः णौ / पा०६।१।५४। 85 इण-एधोः / पा०६।१८६। 57 प्रजने वियः। पा०६॥१॥५५॥ 86 ऊठि / पा०६।१८६। 58 भियः प्रयोजकात् / पा०६।११५६। 87 अक्षात् ऊहिन्याम् / 56 स्मेश्च / पा०६।११५७। पा०६।१८९वा०३। 60 क्री-इङ-जीनाम् / पा०६।१।४८॥ 88 स्वात् ईर-ईरिणोः / 61 अष्ठिवु-ध्वक्कादेः षः सः / पा०६।११८६ वा०५॥ पा०६।१।६४+वा०१॥ 86 प्रात् ऊढ-ऊढि-एष-एष्येषु / / 62 णः नः / पा०६।१॥६५॥ पा०६।१।८६ वा०४। 63 यः वलि लोपः। पा०६।१।६६। 60 ऋते तृतीयासमासे / पा०६।११८६ वा०६। 64 वेः अनचः / पा०६।१।६७। 61 प्र-दश-ऋण-वसन-कम्बल-वत्सरात् 65 हलः ति-सिपः / पा०६।१।६८। ऋणे / पा०६।१।८६ वा०७,८। 66 सोः / पा०६।१।६८। 62 ओतः अम्-शसोः आत् / 67 ङी-आपो दीर्घात् / पा०६।१।६८।। पा०६११६३ 68 एड-ह्रस्वात् संबुद्धौ अतः। 13 प्रादीनाम् ऋति धातौ / पा०६।११६६+वा०१॥ पा०६।१।६१॥ 66 ह्रस्वस्य अतिङि पिति तुक / 14 वा सुपि लुति च / पा०६।६७१॥ पा०६।११६२। काशिका 6 / 1 / 62 // 70 छ / पा०६।११७३। 65 एङि पररूपम् / पा०६।१।६४। 71 आङ-माङः / पा०६।११७४। 66 अनियोगे एवे। पा०६।११६४ वा०३।