________________ 12] चान्द्रव्याकरणम् [अ० 1, पा० 4, सू० 25-75 . 25 स्-वो वा-ऽमौ / पा०३।४।११। 52 परि-वि-अवात् क्रियः। पा०१।३।१८। 26 इडादीनाम् ऐप् / पा०३।४।६३। 53 वि-पराभ्यां जेः / पा० 1 // 3 // 16 // 27 व्-मोः टाप् / पा०३।४।१२। 54 आङः दः / पा०१।३।२०। . . 28 त-स्थ-स्थानां तां-तं-ता डिन्तश्च / 55 न स्वप्रसारणे / पा०३।४।१०१॥ पा०१॥३॥२०+वा०१,२। 26 वस्-मसोर्लोपः / 56 गमेः क्षान्तौ / पा० 1 / 3 / 21 वा०२। पा०३।४।६६,६८,६७। 57 नु-प्रच्छः / पा०१।३।२१ वा०६। . 30 इतः अतङि / पा०३।४।१००,६७। 58 क्रीडः अनु-परिभ्यां च / 31 मिपः अम् / पा०३।४।१०१॥ पा०१॥३॥२१॥ 32 लिङः सीयुट् / पा०३।४।१०२॥ 56 समः अकूजने / पा०१।३।२१ वा०१॥ 33 यासुट् अतङः कित् / 60 अपस्किरः / पा०१।३।२१ वा०४। पा०३।४।१०४,१०३। 61 हबः गतिशीले।पा०१।३।२१ वा०५। '' 34 ङित् अनाशिषि / पा०३।४।१०३। 62 आशिषि नाथः।पा०१।३।२१ वा०७। 35 अत इय / पा०७२। 0 6 3 शपः शपथे / पा०१।३।२१ वा०८।. 36 सो लोपः अनन्त्यस्य / पा०७।२।७६। 64 स्थः प्रतिज्ञा-निर्णय-प्रकाशनेषु / .: 37 झस्य रन् / पा०३।४।१०५ / पा०१।३।२२ वा० 1 // पा० 1 // 3 // 23 // 38 इटः अत् / पा०३।४।१०६। 65 सं-वि-प्र-अवात् / पा०१।३।२२॥ 36 सुट त-थोः / पा०३।४।१०७। 66 उदः अनूाहायाम् / 40 झेः जुस् / पा०३।४।१०८। - पा०१।३।२४+वा० 1 // 41 सिचः / पा०३।४।१०। 67 उपात् मन्त्रेण / पा०१॥३॥२५॥ 42 आतः / पा०३।४।११०। 68 पथि-आराधनयोः। 43 लङो द्विषश्च वा। पा०१॥३॥२५ भा०। पा०३।४।१११,११२। 66 वा लिप्सायाम् / पा०।१।३।२५ वा०२। 44 विदः / पा०३।४।१०६। 70 अव्याप्यात् / पा०१।३।२६।। 45 अति / पा०३।४।१०६। 71 समः गम्-ऋछि-प्रछि-स्व-श्रु-वेत्ति४६ तङाना यथापाठम् / पा०१॥३॥१२॥ __ अति-दृशः / पा० १।३।२६+वा० 1,2 // 47 भाव-आप्ययोः / पा०१।३।१३। 72 प्रादिभ्यः असु-ऊहो वा / 48 डितः / पा०१॥३॥१२॥ पा०१।३।२६ वा०३। 46 विनिमये / पा०१।३।१४। 73 आङः यम-हनः स्वाङ्गाप्याच्च / 50 न गति-हिंसा-शब्दार्थहसः / पा०१॥३॥२८+वा०१॥ पा०१।३।१५+वा०१॥ 74 व्युदस्तपः / पा०१॥३॥२७॥ 51 नेविंशः / पा०१।३।१७। 75 तपआप्यात् / पा०३।११८८।