________________ प्राद -- बाष्पादयः] चान्द्रव्याकरणम् [165 प्राद् वाहनस्य ढे 6 / 1 / 3 / / ___ फल्गुन्याः ट: 3 / 3 / 10 / प्राध्वं बन्धे 2 / 2 / 3 / / फाण्टाहृतेः ण-फिञौ 2 / 4 / 82 / प्राप्त-आपन्नौ द्वितीयया अत्वं च फाल्गुनी-श्रवणा-कार्तिकी-चैत्रीभ्यः वा 2 / 2 / 16 / 3 / 1 / 20 / प्रायः अन्नम् अस्मिन् 4 / 2 / 87 / / फिन् बहुलम् 2 / 4 / 63 / प्राल्लिप्सायाम् 1 / 3 / 38 / / फुल्ल-क्षीब-कृश-उल्लाघाः 6 / 3 / 64 / प्रार्लो-प्रगे-सायम्-चिरम्-असंख्यात् ट्युः / फेनात् 4 / 2 / 102 / . 3 / 276 / फेः छ च 2 / 4 / 81 / प्रिय-वशात् वदः 1 / 2 / 23 / बध ए: ई च 1 / 1 / 20 / प्रिय-सुखात् आनुकूल्ये 4 / 4 / 47 / / बन्धौ अन्यार्थे 5 / 1 / 12 / प्रिय-स्थिर-स्फिर-उरु-गुरु-बहुल-तृप्रं-दीर्घ बभ्रोः कौशिके 2 / 4 / 26 / हस्व-वृद्ध-वृन्दारकाणां प्र-स्थ-स्फ बल-वातं चूल: 4 / 2 / 160 / - वर-गर-बह-त्रप-द्राघ-हस्-वर्ष बहिषः टीकक् च 2 / 4 / 10 / वृन्दाः 5 / 3 / 163 / बहुत्वविषयेभ्यः 3 / 2 / 36 / पु-द्रु-स्र-बुध-युध-इङ-नश-जनः बहुत्वे वा 6 / 3 / 26 / 1 / 4 / 140 / बहु-पूग-गण-संघात् तिथट् 4 / 2 / 60 / ग्रु-सृ-ल्वो वुन् 111 / 158 / बहुलम् 1 / 1 / 103 / प्रे स्त्यः त-तवतो: 5 / 1 / 28 / बहुवचनस्य वस्-नसौ 6 / 3 / 17 / प्रेष-अनुज्ञा-प्राप्तकालेषु 1 / 3 / 123 / बहुषु झलि एत् 6 / 2 / 41 / प्रोक्तात् लुक् 3 / 1 / 41 / / बहूजि बहूजि 5 / 4 / 28 / प्र-उपात् आरम्भे 1 / 4 / 88 / बहोः ए: भू च 5 / 3 / 160 / . प्लुतः तुकि 6 / 3 / 32 / बहोः धा च अविप्रकर्षे 4 / 4 / 6 / / प्लुतात् ति च 6 / 4 / 38 / बलि-उदि-पदि-कापिशीभ्यः ष्फक् प्वादीनां हस्वः 6 / 1 / 108 / 3 / 2 / 8 // फक्-फिञोः वा 2 / 4 / 116 / बह्वचः प्राच्यात् इञः 2 / 4 / 113 / फणादीनां सप्तानाम् 5 / 3 / 121 / / बह्वचः अन्तोदात्तात् ठञ 3 / 3 / 36 / फल-बर्ह-मालात् च इनच् 4 / 2 / 141 / बह्वच्पूर्वपदात् ठच 3 / 4 / 65 / / फलवति 1 / 4 / 124 / बहु-अल्पार्थात् कारकात् मङ्गले शस् फलानाम् 2 / 2 / 61 // वा 4 / 4 / 1 / फलेग्रहिः आत्मभरिः कुक्षिभरिः बाढ-अन्तिकयोः साध-नेदौ 4 / 3 / 51 / / 1 / 2 / 10 / बाष्पादयः (उणादि) 285 /