________________ H-- ]] चान्द्रव्याकरणम् [149 ट्वितः अथुच् 1 / 3 / 66 / झ-भञ् प्रत्याहारसूत्र (शिवसूत्र 7) झयः 6 / 3 / 36 / ठंश्चान्यत्र 4 / 1 / 6 / / झयः हो झय 6 / 1 / 156 / ठञ् 3 / 2 / 30 / झलि तिङि अपिति . 5 / 3 / 37 / ठस्य इकः 5 / 4 / 3 / झल: जश् 6 / 3 / 67 / डः 1 / 2 / 35 / झलः झलि 6 / 3 / 55 / डः 112 / 65 / झषः एकाचः स्-ध्वोः बशो भष् .. ड: 6 / 3 / 47 / 6 / 3 / 66 / ड: सः धुट 6 / 4 / 13 / झषः जश् 6 / 2 / 115 / डतरादिभ्यः पञ्चभ्यः अनेकतरात् तः झसि अरन् 1 / 4 / 37 / 2 // 1 // 25 // झेः जुस् 1 / 4 / 40 / डश्चोपात् 4 / 3 / 65 // झः अन्तः 1 / 4 / 3 / / डाचि पूर्वस्य 5 / 1 / 105 / . डाच्-लोहितादिभ्यः क्यष् 1 / 1 / 31 / अमः किति वो च 5 / 3 / 17 / / डित् अण् 3 / 3 / 8 / .. अ-म-ङ-ण-न-म् प्रत्याहारसूत्र (शिवसूत्र 6) ड्वितः त्रिः 1 / 3 / 68 / अमन्तात् डः (उणादि) 2036 / अमि च च्छ्-वोः शूठ 5 / 3 / 13 / ढक् 2 / 4 / 46 / अमोऽतः नुक् 6 / 2 / 134 / ढकि लोपः 2 / 4 / 68 / जितः 1 / 4 / 126 / ढे 5 / 3 / 148 / मित्-आर्षण्यात् अणिमो: 2 / 4 / 123 / ढे अग्नायी 5 / 2 / 33 / णिति 6 / 1 / / ढे अनादौ ढलोपः 6 / 4 / 18 / ञ्णिन्नि। हनो हः 6 / 185 / ठुलोपे अण: 5 / 2 / 137 / 'ज्यादीनां . बहुषु लुक् 4 / 3 / 64 / ज्यादीनां 2 / 4 / 106 / णः पन्थश्च नित्यम् 4 / 1 / 88 / णच्-इनुणः 4 / 4 / 21 // टक् 112 / 36 / णि-श्रन्थ-ग्रन्थ-विद-आस-घट्ट-वन्दः युच् टकितो आद्यन्तौ 1 / 1 / 13 / 11386 / टा-ङसोः इन-स्यौ 2 / 1 / 4 / णि-श्रि-द्रु-स्रु-कमः कर्तरि चङ 1 / 1 / 68 / टि चापः 6 / 2 / 43 / णेः अनिटि 5 / 3 / 67 / टित्-ड-अण्-अञ्-ठक्-ठ-नत्र-स्नञ् -कत्र - णेः अस्विदि-स्वदि-सहः 6 / 4 / 46 / * क्वरप्-ख्युनः 2 / 3 / 17 / णेर्वा 6 / 4 / 124 / टित्तङाम् एत् 1 / 4 / 15 / णेः वृत्तं ग्रन्थे 5 / 4 / 154 / 'टः अस्त्रियां ना 6 / 2 / 63 / णः नः 5 / 1 / 62 / टा-ओसि अक: अनः 5 / 4 / 74 / णः अरण्यात् 3 / 2 / 17 /