________________ अयानयं-- अशाला] चान्द्रव्याकरणम् [131 अयानयं नेयः 42 / 14 / अल्पे 4 / 3 / 66 / अय् आम्-अन्त-आलु-आय्य-इत्नुषु अल्पे 4 / 4 / 125 / 5 / 3 / 66 / अल्लोपः अनः 5 / 3 / 130 / . अयि रः 5 / 1 / / अवक्रयः 3 / 4 / 52 / अरण्यात् पथि-न्याय-अध्याय-हस्ति-जर- अवद्य-पण्य-वर्याः गद्य-विक्रेय-अनिविहारेषु 3 / 2 / 43 / रोधषु 1 / 1 / 112 / अरुष्-मनस्-चक्षुष्-चेतस्-रहस्-रजसां अवधौ अहाक्-रुहो: 4 / 3 / 6 / लोपश्च 4 / 4 / 36 / अवधेः पञ्चमी 2 / 1 / 81 / अरुषः 5 / 2 / 76 / अवरस्य अव् 4 / 3 / 33 / अर्थात् 4 / 4 / 32 / अवाते निर्वाणः 6 / 3 / 86 / अचि-हु-सृपि-च्छदि-च्छदिभ्यः इसिः / अवात् कुटारच्च 4 / 2 / 31 / ' (उणादि) 3 / 86 / अवात् त्रश्च 1 / 3 / 27 / अर्तेः पिशन् (उणादि) 3 / 54 / अवात् औजित्य-आलम्बन-अविर्येषु / अर्तेः अण्यच् (उणादि) 2 / 115 / 6 / 4 / 53 / अर्तेः अनिच् (उणादि) 1172 / अवात् गिरः 1468 / अर्तेः उच् च (उणादि) 3 / 111 / अवात् बृंहः (उणादि) 2 / 55 / अर्तेः ऊच् च (उणादि) 1 / 16 / अवात् वर्षविबन्धे 1 / 3 / 41 / अर्थमात्रे प्रथमा 2 / 1 / 63 / अवः टिषच् (उणादि) 3 / 61 / अर्थे वा 5 / 2 / 118 / अव-उद: 1 / 3 / 16 / अर्धात् परिमाणस्य पूर्वस्य तु वा / / अवोद-एध-ओद्म-प्रश्रय-हिमश्रथाः 6 / 1 / 36 / 5 / 3 / 33 / अर्धात् यत् 3 / 2 / 66 / अव्यक्तानुकरणस्य अनेकाचः अतः इतौ अर्यः स्वामि-वैश्ययोः 1 / 1 / 114 / 5 / 1 / 102 / अर्श आदिभ्यः अच् 4 / 2 / 147 / अव्यक्तानुकरणाद् अनेकाच: अनितौ डाच् अर्हति 4 / 1 / 74 / 4 / 4 / 41 / अर्ह-शक्त्योः 1 / 3 / 128 / अव्यादयः (उणादि) 160 / अलम्-खल्वोः प्रतिषेधे क्त्वा वा अव्याप्यस्य मुचेः ओद् वा 6 / 2 / 110 / 1 / 3 / 126 / अव्याप्यात् 1 / 4 / 70 / अलिटि व्यः 5 / 1 / 50 / अव्याप्यात् 16481 / अलि-इषः कीकन् (उणादि) 2 / 18 / अव्याप्यात् 1 / 4 / 61 / अलुकि 5 / 3 / 3 / अव्याप्याद् वा 1 / 4 / 137 / अलुकि वा 6 / 4 / 72 / अशब्दे यत्-खौ च 3 / 3 / 32 / अलुक् उत्तरपदे 5 / 2 / 1 / अशाला 2 / 2 / 71 /