________________ 124] चान्द्रव्याकरणम् [धातु०७फ्नूयी-४८वृङ् १चुर-१०पीड . 7 क्नूयी शब्दे / 26 बन्ध बन्धने / (37) 8 पूत्र पवने / (12) 30 श्रन्थ ग्रन्थ संदर्भे / (36, 41) 6 लू छेदने / (13) 31 मन्थ विलोडने / (40) 10 स्मृ छादने (14) 32 कुन्थ संश्लेषणे / (42) 11 क हिंसायाम् (15) 33 मृद क्षोदे / (43) 12 वृ वरणे / (16) 34 पृड मृड सुखने / (44) 13 धूञ् कम्पने / (17) 35 गुध रोषे / (45) 14 ग्रह उपादाने / (61) 36 कुष निष्कर्षे / (46) विभाषिताः। 37 क्षुभ संचलने / (47) 15 श म हिंसायाम् / (18, 22) 38 णभ तुभ हिंसायाम् / (48,46) 16 पृ पूरणे / (16) 36 क्लिश बाधने / (50). 17 भृ भर्त्सने / (21) 40 अश भोजने / (51) 18 दृ विदारणे / (23) 41 1 उध्रस् उञ्छे / (52) 16 ज़ जरायाम् / (24) 42 इष आभीक्ष्ण्ये / (53). 20 नू नये / (25) 43 विष विप्रयोगे / (54) 21 गृ शब्दे / (28) 44 पुष पुष्टौ / (57) 22 ज्या हानौ / (26) 45 पुष प्लुष स्नेहने / (55, 56) 23 व्ली री ऋ गतौ / (32,30,27) 46 मुष स्तेये / (58) 24 ली द्रवीकरणे / वृत् / (31) 47 खव प्रादुर्भाव / (56) 25 वी वरणे / (33) . अतङानाः / 26 भी भये / 48 वृङ संभक्तौ / (38) 27 क्षिष् हिंसायाम् / (35) 28 ज्ञा अवबोधने / (36) ज्यादयः समाप्ताः / / 6 / / 1 चुर स्तेये / (1) 6 कुद्रि अनृतभाषणे / (6 ) 2 चिति स्मृत्याम् / (2) 7 लड उपसेवायाम् / (7) 3 यत्रि संकोचने / (3) 8 मिद स्नेहने / (8) 4 स्फुडि परिहासे / (4) 6 ओलडि उत्क्षेपे / (6) 5 लक्ष लोक दर्शने / (5, 236) 10 पीड बाधायाम् / (11) 1. हैमे तथा माधवीये धातुपाठे 'ध्रसुश् उञ्छे " " ध्रस् उञ्छे " इति धातुः / एतद्विषये माधव: एवं निर्दिशति-“अत्र क्षीरस्वामी उकारं धात्ववयवमाह। तन्मते उध्रस्नाति, उध्रसांचकार” इत्यादि / (माध० वृ० पृ० 374) तङानी।