________________ धातु०१११टुमस्जो-१२१शद्लू; १रुधिर-६स्कु] चान्द्रव्याकरणम् [123 111 टुमस्जो शुद्धौ / (122) 117 स्पृश संस्पर्शे / (128) 112 रुजो भङ्गे / (123) 118 विश प्रवेशने / (130) 113 भुजो कौटिल्ये / (124) 116 मृश आमर्श / (131) 114 छुप स्पर्श / (125) 120 षद्लु अवसादे / (133) 115 रुश रिश हिंसायाम् / (126) 121 शद्ल शातने / (134) 116 लिश विछ गतौ / (127, 126) अतङानाः / तुदादयः समाप्ताः // 6 // 1 रुधिर् आवरणे / (1) 13 भन्जो आमर्दने / (16) 2 भिदिर् विदारणे / (2) 14 भुज पालने / (17) 3 छिदिर् द्वैधीकरणे / (3) 15 तृह हिसि हिंसायाम् (18, 16) 4 रिचिर् विरेचने / (4) 16 उन्दी क्लेदने / (20) 5 विचिर् पृथग्भावे / (5) 17 अन्जू व्यक्तौ / (21) 6 क्षुदिर् संपेषणे (6) 18 तन्चू संकोचने / (22) 7 युजिर् योगे / (7) 16 वृजी वर्जने / (24) 8 उछृदिर् ‘दीप्तौ / (8) . 20 पृची संपर्के / (25) 6 उतृदिर् हिंसायाम् / (6) __ अतङानाः / विभाषिताः / / 21 इन्धी दीप्तौ / (11) 10 कृती वेष्टने / (10) 22 खिद दैन्ये / (12) 11 शिष्ल विशेषणे / (14) 23 विद विचारे / (13) 12 पिष्ल संचूर्णने / (15) तङानिनः / ___ रुधादयः समाप्ताः / / 7 // . 1 तनु विस्तारे / (1) 7 डुकृञ् करणे / (10) - 2 षणु दाने / (2) विभाषिताः / . 3 क्षणु हिंसायाम् / (3) 8 वनु याचने / (8) 4 ऋणु गतौ / (5) 6 मनु बोधने / (6) 5 तृणु अदने / (6) तङानिनौ / 6 घृणु दीप्तौ / (7) तनादयः समाप्ताः / / 8 / / 1 डुक्रीन द्रव्यविनिमये / (1) 4 मी हिंसायाम् / (4) . 2 प्रीञ् तर्पणे / (2) 5 षि यु बन्धने / (5, 6) 3 श्री पाके / (3) 6 स्कु आप्रवणे / (6)