________________ धातु०२२ऋक्ष-२५ष्टिघ ; तुद-५१खुर] चान्द्रव्याकरणम् [121 22 ऋक्ष चिरि जिरि हिंसायाम् / 24 अशू व्याप्तौ / / (18) (26-32) 25 ष्टिघ स्कन्दने / (16) 23 तृप प्रीणने / (25) ___ तङानिनौ / अतङानाः / स्वादयः समाप्ताः / / 5 / / 1 तुद व्यथने / (1) 2 णुद प्रेरणे / (2) 3 दिश अतिसर्जने / (3) 4 भ्रस्ज पाके / (4) 5 क्षिप प्रेरणे / (5) 6 कृष विलेखने (6) 7 मिल संगमे / (135) 8 मुच्ल मोक्षणे / (136) 6 लुप्ल छेदने / (137) 10 विद्लु लाभे / (138) 11 लिप उपदेहे / (136) 12 षिच क्षरणे / (140) विभाषिताः / / 13 कृती छेदने / (141) 14 खिद परिघाते / (142) 15 पिश अवयवे / वृत् / (143) 16 ऋषी गतौ / (7) 17 ओवश्च छेदने / (11) 18 व्यच व्याजीकरणे / (12) 16 उछि उञ्छे / (13) 20 उछी विवासे / (14) 21 ऋछ गतौ / (15) 22 मिछ उत्क्लेशे / (16) 23 जर्स चर्च झर्झ परिभाषणे। (17) 24 त्वच संवरणे / (18) 25 ऋच स्तुतौ / (16) 26 उब्ज आर्जवे / (20) 27 उद्झ उत्सर्गे / (21) 28 लुभ विमोहने / (22) 26 ऋफ कत्थने / 30 ऋफ ऋन्फ हिंसायाम् / (30) 31 तृप तृन्प तृप्तौ / (24) 32 दृप दृन्प उत्क्लेशे (28) 33 गुफ गुन्फ ग्रन्थे / (31) 34 उभ उन्भ पूरणे / (32) 35 शुभ शुभ शोभार्थे / (33) 36 दृभी ग्रन्थे / (34) 37 घृती हिंसायाम् / (35) 38 विध विधाने / (36) 36 जुन शुन गतौ / (37, 46) 40 पृड मृड सुखने / (36, 38) 41 पृण प्रीणने / (40) 42 मृण हिंसायाम् / (41) 43 तुण कौटिल्ये। (42) 44 पुण शुभे / (43). 45 मुण प्रतिज्ञाने / (44) 46 कुण शब्दे / (45) 47 द्रुण हिंसायात् / (47) 48 घुण पूर्ण भ्रमणे / (48, 46) 46 षुर ऐश्वर्ये (50) 50 कुर शब्दे / (51) 51 खुर छुर छेदने / (52, 76)