________________ 118]. चान्द्रव्याकरणम् [1 हु - 21 ओहाङ 1 दिवु - 35 णश . 1 हु हवने / (1) 13 जन जनने / (24) 2 भी भये / (2) 14 गा स्तुतौ / (25) 3 ह्री लज्जायाम् / (3) अतङानाः / 4 प पालने / (4) 15 णिजिर् शुद्धौ / (11) 5 ओहाक् त्यागे / (8) 16 विजिर् पृथग्भावे / (12) 6 घृ क्षरणे / (14) 17 विष्ल व्याप्तौ / वृत् / (13) 7 ऋ सृ गतौ / (16, 17) 18 डुदा दाने / (6) 8 भस भर्त्सने / (18) 16 डुधाञ् डुभृज धारण / (10,5) 6 कि कित ज्ञाने / (16, 20) विभाषिताः / 10 तुर त्वरणे / (21) 20 माङ माने / (6) 11 धिष शब्दे / (22) 21 ओहाङ गतौ / (7) 12 धन धान्ये / (23) तङानिनौ / जुहोत्यादयः समाप्ताः // 3 / / 1 दिवु क्रीडायाम् / (1) 2 षिवु तन्तुसंताने (2) 3 श्रिवु सिवु गतौ / / 4 ष्ठिवु क्षिवु निरसने / (4) 5 क्नसु बरणे / (6) 6 नृती नाटये / (9) 7 त्रसी भये / (10) 8 कुथ पूतिभावे / (11) 6 पुथ हिंसायाम् / (12) 10 गुध वेष्टने / (13) 11 क्षिप प्रेरणे / (14) 12 पुष्प विकसने / (15) 13 तिम ष्टिम ष्टीम आर्द्रभावे (16, 17) 14 वीड चोदने / (18) 15 इष गतौ / (16) 16 षुह शक्तौ / (21) 17 जृष् झुष् जरायाम् (22, 23) 18 शो तनूकरणे / (37) 16 छो छेदने / (38) 20 षो अवसाने / (36) 21 दो अवखण्डने / (40) 22 राध साध संसिद्धौ / (71) / 23 व्यध ताडने / (72) 24 पुष पुष्टौ / (73) 25 शुष शोषणे / (74) 26 तुष प्रीतौ / (75) 27 दुष वैकृत्ये / (76) 28 श्लिष आलिङ्गने / (77) 26 विदा पाके / (76) 30 क्रुध कोपे / (80) 31 क्षुध बुभुक्षायाम् / (81) 32 शुध शौचे / (82) 33 षिधु संराद्धौ / (83) 34 रध हिंसायाम् / (84) 35 णश अदर्शने / (85)