________________ चान्द्रव्याकरणम् [धातु० 585 युध - 638 टुओश्वि 585 युध संप्रहारे / 613 झष आदाने / (640) 586 रुह प्रादुर्भावे / (612) 614 भक्ष भक्षणे / (641) 587 कस गतौ / वृत् (613) 615 दास दाने / (642) अतङानाः। 616 माहू माने / (643) 588 हिक्क शब्दे / (614) 617 गुहू संवरणे / (944) 586 धावु गति-शुद्धयोः। (632) 618 श्रि सेवायाम् (945) 560 अन्चु गतौ / (615) 616 हृञ् हरणे / (647) 561 टुयाच याञ्चायाम् / (616) 620 भृञ् भरणे / (946) 562 रेट परिभाषणे / (617) 621 धृ धारणे / (648) 563 चते चदे च याचने / (618) 622 णी प्रापणे / (950) 564 प्रोथ पर्याप्तौ / (616) 623 दान अवखण्डने / (1043) 565 मेधृ संगमे / (920) 624 शान तेजने / (1044) 566 णिदृ णेदृ संनिकर्षे / (921) 625 डुपचष् पाके / (1045) 567 मिदृ मेद मेधा-हिंसयोः / (920) 626 भज सेवायाम् (1047) 568 शृधु मृधु उन्दे / (622, 623) / 627 रन्ज रागे / (1048) 566 बुध बोधने / (924) 628 शप आक्रोशे / (1046) .. 600 उचुन्दिर् निशाने (925) 626 त्विष दीप्तो (1050). 601 २वेण गतौ / (926) 630 यज देवपूजायाम् / (1051) : 602 खनु अवदारणे (627) 631 डुवप बीजनिक्षेपे / (1052) 603 चीवृ आदाने (628) 632 वह प्रापणे / (1053) 604 चा पूजायाम् / (626) 633 वेञ् तन्तुसंताने (1055) . 605 व्यय गतौ / (930) 634 व्यञ् संवरणे / (1056) 606 दाश दाने। (631) 635 ह्वेञ् स्पर्धायाम् / (1057) 607 भेष भये / (632) . विभाषिताः / 608 अस गतौ / (634) / 636 वस निवासे / (1054) 606 स्पश बाधने / (636) / 637 वद वचने / (1058) 610 लष कान्तौ / (937) . 638 टुओश्वि गतिवृद्धौ / वृत् / 611 चष भक्षणे / (638) (1056) 612 कष हिंसायाम् / (636) अतङानाः / भूवादय : समाप्ताः // 1 // 1. हेमचन्द्रसंगृहीते धातुपाठे माधवीयधातुवृत्तौ च अनुक्रमेण "ओबुन्दृग् निशामने " " उत्रुन्दिर निशामने" इति धातुः / / 2. एवं तयोरेव ग्रन्थयो; " वेण गति-ज्ञान-चिन्ता-निशामन-वादित्रग्रहणेषु " इति /