________________ 682 जीतकल्प सभाष्य 23 जीव गुप्ति 784-802 निर्यापक 320,321,378-80, ग्रहणैषणा 1471-76 433-37, 451-53, 461 ग्रासैषणा 1605-10 नोइंद्रियप्रत्यक्ष चतुर्दशपूर्व 256 पंचयाम-चतुर्याम 2019-24 चतुरंग 358 पर्युषणाकल्प 2096-2111 चिकित्सापिण्ड (भिक्षा-दोष) 1384-93 | परिग्रह 903,904 चूर्णपिण्ड (भिक्षा-दोष) 1449-57 | परिणामक 1943-46, 1952, 1953 छति (भिक्षा-दोष) 1600-04 | परिवर्तित (भिक्षा दोष) 1247, 1248 छेदाह प्रायश्चित्त 2282-89 | परिहारविशुद्धिकल्प 2112-58 जिनकल्प 2159-80 पाराञ्चित 2479-2587 जीतकल्प 2590-96, 2601, 2606 | पारिहारिक 2430-64 जीतव्यवहार 675-94 पिण्ड 955-57 704 | पिहित (भिक्षा-दोष) 1546-56 ज्ञानाचार 1000-21 पुरुषज्येष्ठ 2025-50 तदुभयाई प्रायश्चित्त 720,721,933-44, | पुरुष-प्रकार 1940-42,1960-67 949-54 पूतीकर्म 1203-15 तप प्रायश्चित्त 1675-1726,1732-1936, प्रतिक्रमणार्ह 719, 913-18, 1814-1938, 2217-64 2051-57 दर्शनाचार 1037-62 प्रतिसेवना 584-616, 2265 दायक दोष 1569-81 प्रत्यक्ष 10, 11 दुश्चिन्तित 945 प्रद्विष्ट चित्त 2306 दूतीपिण्ड (भिक्षा-दोष) 1325-40 प्रमाणदोष 1621-42 धात्रीपिण्ड (भिक्षा-दोष) 1321-24 प्रवचन 1-3 धारणाव्यवहार 654-74 प्रादुष्करण (भिक्षा-दोष) 1238-40 धूमदोष 1649-54 प्रामित्य . (भिक्षा-दोष) 1245, 1246 निक्षिप्त (भिक्षा-दोष) 1512-45 प्राभृतिका(भिक्षा-दोष) 1224-37 निर्गमन 764-68 प्रायश्चित्त ५,६,२६५-९०,३०४निर्ग्रन्थ 281 ३०९,३१४-१७,७१८निमित्तपिण्ड (भिक्षा-दोष) 1341-49 / 30,2273-75,2278-81