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________________ 570 जीतकल्प सभाष्य 2436 638 2459 569 . 580 217 261 478 68 1294 1288 2587 .. 1570 55 सेलेसि सिद्ध विग्गह सेवंतो तु अकिच्चं सेसं अट्ठहऽणुसज्जति सेसं जह थेराणं सेसाणं संसटुं सेसाण ण वि परिणतो सेसा विसोधिकोडी सेसेसू तीसुं पी सेसेहि णियत्तेज्जा सेसेहि तु काएहिं सेहो त्ति अगीतत्थो सोइंदिएण सोउं सो उग्गमो चतुद्धा सो एसो जस्स गुणा सो कीरति पारंची सोगं आभोगेण वि सो चेव य परियाओ सो चोल्लगो वि दुविधो सो जह कालादीणं सो तं घेत्तूण गतो सो तं चिय धरति गणं सो तम्मि चेव दव्वे सो तु परंपरएणं सोतूण तस्स पडिसेवणं सो थेरकप्पों दुविहो सो दिट्ठो य विगिंचिंतों सो पुण ओही दुविधो सो पुण ठिति मज्जाया सो पुण दंसणवंतो सोभणविही तु जेसिं सो य समत्थो होज्जा सोलस उग्गमदोसा सोलस उग्गमदोसे 473 | सो वंदति सेहादि वि 596 सो ववहारविहिण्णू 278 सो वा करेज्ज तेसिं 2071 सो वि अपरक्कमगती 2496 सो वि गुरूहि भणितो 1591 सो सत्तरसो पुढवा... 1303 सोहीए य अभावे 1565 हंदि दु परीसहचमू 1181 हट्टगिलाणा भावम्मि 1500 हणणतिगं पयणतिगं 2310 हणण हणावण अणुमोदणं 20 हत्थं तु भमाडेतुं 1089 हत्थंदु-णिगलबद्धे 1433 हत्थम्मि मुहुत्तंतो 97 हत्थसतबाहिरातो 929 हत्थसयाउ परेणं 2041 हत्थाताले हत्था.... हत्थी विगुम्वितो या ' हत्थेणं जं तालण 2320 2347 हत्थेण व पादेण व 669,670 हरितादि अणंतर पूवितादि . 2087 हवेज्ज जदि वाघातो 636 हारितधोतुग्गमिया... 2095 हासं तु हासमेव तु 64 हिंडंतो गोयरम्मि 32 हितमहितं होति दुहा 1970 हिताहारा मिताहारा 2037 हिययम्मि समाहेउं 2595 हीणतरे हीणतरं 2564 होति जहण्णुक्कोसो 1088, 1487, 1671 | होति विसोहण सोहण 1313 होमादिऽ वितहकरणे 1277 760 2373 801 2374 2376 1538 388 47 911 فاه 1633 1632 1103 2277 1854,1856 705 1353
SR No.004291
Book TitleJeetkalp Sabhashya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages900
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_jitkalpa
File Size15 MB
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