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________________ पदानुक्रम : परि-१ 569 1639 1672 1979 746 1416 1298 1562 1308,1309 320 1003 699 1830 223 142 सामत्थे वण्णणाए य सामाइए य छेदे सामाइयमादीयं सामाइसंजताणं सारेऊण य कवयं सारो चरणं तस्सा साली-घत-गुल-गोरस सालीमादी अगडे सावज्ज भास भासति सा वि य भणती होतू सावेक्खा होंति तिहा सावेक्खो त्ति व काउं सावेक्खो पवयणम्मि सासवणाले मुहणंतगे सासवणाले लड़े साहम्मिउवधिहरणं साहम्मितेण्ण दुविधं साहरणेतं भणितं साहारणं समं तू . साहारणमणिसटुं साहारणवणकाए साहारणा तु एते साहुणिमित्ता रद्धं साहुवयारि त्ति तुमं साहूण समुल्लावो साहू सुतोवउत्तो सा होती आसातण सिझंतस्सुवगारं सिणेहो पेलवी होती सिप्पणेउणियट्ठा सिसिरे दसमादी पुण सीतघरम्मि व डाहं 2592 | सीतो उसिणो साहारणो 1969 सीयालीसं एते 714 सीसावेढियपोत्तिं 286 सीसाऽऽह जई एवं 331 सीहेसरगतचित्तो सुक्केण वि जं छिक्कं 1177 | सुक्के सुक्कं पढमं 1147 | सुक्खे सुक्खं पडितं 806 | सुण जह णिज्जवगऽत्थी 1331 सुतणाणम्मि गुरुम्मि व 2203 | सुतववहारअभावे 2221 सुतववहारेणऽहवा 303 सुत्तं अत्थं च तहा 2482 सुत्तं अत्थे उभयं 2483 | सुत्तं गाहेति उज्जुत्तो 2309 सुत्तत्थतदुभयविसार.. 2308 | सुत्तत्थपोरिसीअकर... 1568 | सुत्तस्स अप्पमाणे 1823 | सुत्तेण वि अत्थेण वि 1276 | सुत्ते वा अत्थे वा 1071 / सुद्धं एसित्तु ठावेंति 2084 सुबहुत्तरगुणभंसी 1165 | सुबहू पिपीलियाओ 839 | | सुहुमं व बादरं वा 1396 सुहुमाए मासलहुं 1485 सुहुमाए लहुपणगं 863 सुहुमो य होति कालो 1208 | सूभग-दोभग्गकरा 337 से किं अप्पडिवाति 2381 से किं मज्झगतो?तं 1863 सेज्जातरपिंडे या 236 सेलेसिं पडिवण्णे 224 2089 1789 1486 2596 1030 490 81 857 1204 1385 1225 1459 43 1974 709
SR No.004291
Book TitleJeetkalp Sabhashya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages900
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_jitkalpa
File Size15 MB
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