________________ अनुवाद-जी-३५ 425 1493. कर्दम मिश्रित पृथ्वी से म्रक्षित हाथ या पात्र से भिक्षा ग्रहण करने पर लघुमास तथा शुष्क पृथ्वीकाय से प्रक्षित हाथ से भिक्षा लेने पर चतुर्लघु प्रायश्चित्त की प्राप्ति होती है, जिसका तप रूप प्रायश्चित्त क्रमशः पुरिमार्ध और आयम्बिल होता है। 1494. मेक्षित दोष के चार प्रकार हैं-१. सस्निग्ध प्रक्षित 2. उदकाई म्रक्षित 3. पुरःकर्म मेक्षित 4. पश्चात्कर्म मेक्षित। वनस्पतिकाय में उक्कुट्ठ-वनस्पति के श्लक्ष्ण खंड, पिट्ठ-तण्डुल आदि का आटा तथा कुक्कुस-धान्य आदि के छिलके से युक्त हाथ या पात्र को जानना चाहिए। 1495, 1496. सस्निग्ध हाथ या पात्र से भिक्षा लेने पर पणग-निर्विगय, उदका से लेने पर लघुमास (पुरिमार्ध), पुर:कर्म और पश्चात्कर्म से युक्त हाथ या पात्र से भिक्षा लेने पर चतुर्लघु प्रायश्चित्त की प्राप्ति होती है। चतुर्लघु में तप रूप प्रायश्चित्त आयम्बिल की प्राप्ति होती है। अब मैं वनस्पतिकाय म्रक्षित के बारे में कहूंगा। 1497. वनस्पति के श्लक्ष्ण खंड, चावल का आटा आदि प्रत्येक वनस्पति से प्रक्षित हाथ या पात्र से भिक्षा लेने पर लघुमास, जिसका तप रूप में प्रायश्चित्त पुरिमार्ध प्राप्त होता है। 1498. इसी प्रकार अनंत वनस्पति से मेक्षित हाथ या पात्र से भिक्षा ग्रहण करने पर गुरुमास, जिसका तप रूप प्रायश्चित्त एकासन' होता है। 1499. शाक, रसयुक्त वनस्पति, वनस्पति के श्लक्ष्ण खंड, जो प्रत्येक या अनंतकाय वनस्पति के हो सकते हैं, इनका छेदन करने वाले के हाथ वनस्पतिकाय म्रक्षित होते हैं। 1500. शेष तीनों काय-तेजस्, वायु और बस के सचित्त रूप और मिश्ररूप म्रक्षित नहीं होता। / 1501, 1502. सचित्त म्रक्षित हाथ और पात्र की चतुर्भगी इस प्रकार है * हस्त म्रक्षित तथा पात्र मेक्षित। * हस्त म्रक्षित, पात्र नहीं। * पात्र मेक्षित, हस्त नहीं। * न हस्त म्रक्षित और न पात्र मेक्षित। प्रथम तीन विकल्प प्रतिषिद्ध हैं, चौथा विकल्प अनुज्ञात है। 1503. अचित्त म्रक्षित दो प्रकार का होता है -गर्हित द्रव्य तथा अगर्हित द्रव्य। गर्हित द्रव्य दो प्रकार के होते हैं-१. लौकिक गर्हित 2. उभयलोक गर्हित। 1504. मांस, चर्बी, शोणित, मदिरा, लहसुन आदि पदार्थ इस लोक में गर्हित हैं। मूत्र, मल आदि उभय लोक-लौकिक और लोकोत्तर में गर्हित हैं। 1505. दोनों प्रकार के गर्हित से म्रक्षित हाथ या पात्र से भिक्षा ग्रहण करने पर चतुर्लघु , जिसका तप रूप प्रायश्चित्त आयम्बिल होता है। अब मैं आगे अगर्हित के बारे में कहूंगा। . १.दिन में एक स्थान पर एक आसन में बैठकर एक बार भोजन करना एकासन है।