________________ 228 जीतकल्प सभाष्य 2240. अकतकरणम्मि पणगं, कतकरणे पणगमेवुवज्झाए। अकतकरणे चतुत्थं, एवं तू अड्डकंतीए // 2241. ता णेतव्व कमेणं, जाव उ अंतम्मि होति पुरिम९। इय पण्णरसाऽऽरद्धं, ठायति एक्कासणगमंते // 2242. वीसाऽऽरद्धं ठायति, आयामे भिण्णमासऽभत्तढे / मासाऽऽरद्धं पणगे, दुमास दसराएँ ठायति तु॥ 2243. तेमासे पण्णरसे, चतुमासे ठाति वीसरायम्मि। पणमासे पणुवीसे, छम्मासे मासिगे ठाति // 2244. छेदो दोमासीए, मूलो तेमासियम्मि ठायति' तु। अणवढे चतुमासे, 'पारंचिइए तु पणमासे'२ // 2245. एते भणिता लहुगा, सव्वे वि तवारिहा. समासेणं / एमेव य गुरुगा वी, तव्वा अड्डकंतीए // 2246. एमेव य मीसा वी, अड्डक्कंतीएँ होंति णेतव्वा / एमेव पंचपंचहिँ, मासादी सातिरेगादी / / 2247. जा छम्मासा णेया, तत्थ वि उग्घात तह अणुग्घाता। ___ मीसा वि य णेतव्वा, अड्डोक्कंतीएँ ' सव्वत्थ // 2248. अहवा वी णिव्विगती, पुरिमेक्कासण तहेव आयामं। तत्तो चतुत्थ पणगं, दस पण्णर वीस पणुवीसा / / 2249. मासो लघु गुरु चतु छच्च, लघु गुरु च्छेद मूल अणवठ्ठो। पारंचिए य तत्तो, पणगादीहासण तहेव॥ 2250. लहु गुरुग मीसगा वि य, तहेव एत्थं पि होति णातव्वा। एवं एयं दाणं, बुद्धीए होति विण्णेयं // 2251. एमेव य समणीणं, नवरं दुगवज्जितं तु कातव्वं। __ अणवट्ठो पारंची, एय दुगं नत्थ समणीणं // 2252. अहवा पुरिसा दुविधा, समासतो होंतिमे तु णातव्वा। एगविहारी य तहा, गणबद्धविहारिणो चेव॥ 3. x (पा)। 1. अड्डे (ब)। 2. त्तट्टो (ता)।