________________ 208 जीतकल्प सभाष्य 2025. पुव्वतरं सामइयं, जस्स कतं जो वतेसु वा ठवितो। एस कितिकम्मजेट्ठो, न जाति-सुततो दुपक्खे वि॥ 2026. सा जेसि तुवट्ठवणारे, जेहि य ठाणेहिं पुरिम-चरिमाणं। पंचायामे धम्मे, आदेसतिगं चिमं सुणसु / 2027. दस चेव छच्च चतुरो, एते खलु तिण्णि होति आदेसा। कतरे हवंति दस तू?, भण्णति सुणसू इमे ते तू // 2028. तओ पारंचिया वुत्ता, 'अणवट्ठा य'६ तिण्णि तु। दसणम्मि य वंतम्मि', चरित्तम्मि . य केवले // 2029. अदुवा चियत्तकिच्चे, जीवकायं समारभे। सेहे य दसमे . वुत्ते, 'जस्सोवट्ठावणा भवे // 2030. एते दस तू वुत्ता, अण्णादेसेण होंति छत्तु इमे। तिण्णि वि पारंचेक्कं, अणवठ्ठप्पा० वि तिण्णेक्कं // 2031. दंसणवंते ततिए, चरित्तवंते भवे चतुत्थं तु। पंचम चियत्तकिच्चो, छट्ठो सो होउवट्ठप्पो॥ 2032. एसो बितियादेसो, ततियादेसो इमो मुणेतव्वो। - चत्तारि उवट्ठप्पा, कतरे तु? इमे मुणेतव्वा // 2033. पारंची अणवट्ठा, दंसण चरणे सुतोपदिट्ठार२ तु। दंसण-चरित्तवंता, तो दोण्णेते भवंती तु॥ 2034. चियत्तकिच्चो सेहो य, . चत्तारेते हवंतुवटुप्पा। एते तिण्णादेसा, उवठवणाए मुणेतव्वा // 2035. केवलगहणं१३ कसिणं, जइ वमती दंसणं चरितं वा। तो तस्स उवट्ठवणा, देसे वंतम्मि भयणा तु॥ 1. वी (बृ६४०८)। 2. उव (बृ 6409) / 3. च मे (बृ)। 4. सुणह (ब)। 5. गाथाओं के क्रम में ब में यह गाथा नहीं है। 6. वटुप्पाति (पंक 1344) / 7. "म्मिं (बृ 6410) / 8. अहवा (मु)। 9. जस्स उवट्ठावणा भणिया (बृ६४११), जस्सुवठावणा भणिता (पंक 1345) / 10. वट्ठा (पा, ला)। 11. चत्तारि व (मु), रि य (ब)। 12. पहिट्ठा (ता, पा, ब, ला)। 13. "हणा (बृ६४१५)।