________________ पाठ-संपादन-जी-२३-२६ 113 1009. धम्मो मंगलमुक्कटुं, दया संवर णिज्जरा। तस्सेव य अत्थस्सा, अण्णाणि य वंजणाणि करे। 1010. अहवा मत्ता बिंदू, अण्णभिहाणेण बाधितं अत्थं / वंजिज्जति जेण अत्थों, वंजणमिति भण्णते सुत्तं // 1011. वंजणभेदेण इहं, अत्थविणासो हवेज्ज तु कदाई। अत्थविणासा चरणं, चरणविणासे अमोक्खो तु॥ 1012. मोक्खाभावातो पुण, पयत्तदिक्खा निरत्थिगा होति। जम्हा एते दोसा, तम्हा सुत्तं ण भिंदेज्जा। 1013: वंजणभेदो भणितो, अत्थे भेदं अतो पवक्खामि। अत्थं तु वियप्पंती, तेहिं चिय वंजणेहऽण्णं / / 1014. आयारे सुत्तमिणं, आवंती पंचमम्मि अज्झयणे। .. आवंती केआवंती, लोगंसी विपरिमुसंति ति॥ 1015. अट्ठाएँ अणट्ठाए, एतेसुं विप्परामुसंती तु। एतं सुत्तं आरिस, अत्थ विकप्पेतिमं अण्णं // 1016. आवंति होति देसो, तत्थ तु अरहट्टकूवजा केया। सा पडिता हेढे तू, तं लोगो विप्परामुसति / / 1017. अत्थविसंवादेव', तदुभयदारं इमं पवक्खामि। जत्थ तु सुत्तत्था खलु, दो वि विणस्संति तं च इमं॥ 1018. धम्मो मंगलमुक्कत्थो, अहिंसा. पव्वतमत्थगे। देवा वि तस्स णस्संति, जस्स धम्मे सया मसी॥ 1019. अहाकरेसु रंधति, कडेसु रहकारओ। 'रत्तो भत्तंसिणो जत्थ, गद्दभो तत्थ दीसति // 1. गाथा के तीन चरण में अनुष्टुप् तथा चौथे चरण 7. "कडेहिं (निच)। में आर्या छंद है। 8. कठेहिं (निचू)। 2. कयाइं (पा, ब)। 9. लोहार समावुट्टा, जे भवंति अणीसरा (निचू), निचू 3. आवंती (ब)। में इस संदर्भ में निम्न गाथा और मिलती है४. 'वाएवं (ब)। रण्णो भत्तंसिणो जत्थ, गद्दहो तत्थ खज्जति। 5. डुंगरमस्तके (निचू 1) / सण्णज्झति गिही जत्थ, राया पिंडं किमच्छती॥ 6. दिवा (ला)।