________________ पाठ-संपादन-जी-१६,१७ 107 950. दंसण-णाण-चरित्ते, जे अवराहा तु होंति गीतत्थे। कारणजतणाजुत्ते, एव जयंतस्स जे उ भवे // 951. 'जह तिक्खउदगवेगे, विसमम्मि" व विजलम्मि वच्चंतो। कुणमाणो वि पयत्तं, अवसो जह पावतेपडणं // 952. तह समणसुविहिताणं, सव्वपयत्तेण वी जयंताणं। ___ कम्मोदयपच्चइया, विराधणा कस्सइ हवेज्जा' // 953. एरिसजतणाजुत्ता, तस्स विसोहीय तदुभयं होति। सहसा वि होति तदुभय, आवण्णे दंसणादीसु॥ 954. तदुभयदारसमत्तं, विवेगदारं अओ पवक्खामि। कस्स पुण विवेगो ऊ, तत्थ इमा होति गाहा तु॥ पिंडोवहिसेज्जादी, गहितं कडजोगिणोवउत्तेणं। पच्छा णातमसुद्धं, सुद्धो विधिणा विगिंचंतो॥१६॥ 955. पिडि संघाते धातू, पिंडो संघाउ भण्णते तम्हा। * सो इह सच्चित्तादी, णव-णवभेदो पुणेक्केक्को॥ 956. पुढवी आउक्काए, तेऊ वाऊ वणस्सती' चेव। ... बेइंदिय तेइंदिय, चउरो पंचिंदिया चेव॥ 957. एक्केक्को पुण तिविधो, पुढवीमादी सचित्तमादी उ। सत्तावीसपभेदो, पिंडेस समासतो होति॥ 958. ओहिय ओवग्गहिओ, उवधी दुविधो समासतो होति। होति विभागेणं पुण, जह भणितो ओहजुत्तीए // 959. भण्णति सेज्जा' वसही, आदीसद्देण होति. डगलादी। ओसधभेसज्जाणि य, आदीसहेण लहियाणि // 1. 'तिक्खम्मि उद' (व्य 223, नि), वडपादव उम्मूलण तिक्खम्मि (ब)। 2. वि (नि 6305) / 3. पावती (नि 576, बृ 4929) / 4. किस्सइ (ता), कासति (बृ 4930) / 5. नि 577, 6306, व्य 224 / 6. 'जुत्ते (ता, ब, ला)। 7. वणसती (पा)। 8. 'जुत्तीण (पां)। 9. सेया (ब)। 10. होति (ता, मु)। 11. लदियाणि (ता, पा, ब)।