________________ पाठ-संपादन-जी-६ 87 733. संखेवतो उ एते, मुहपुत्तियमादि जाव उस्सग्गो। दिय-रायसमायारी', जा जहियं वुत्त सुत्तम्मि॥ 734. ते तु जदा उवउत्तो, असवत्त करेति निरतियारा य। ___ तद आलोयणमेत्तेण चेव सुद्धी तु छदुमस्स / / 735. छउमं कम्मं भण्णति, नाणावरणं च दंसणावरणं। मोहणिय अंतरायं, चउव्विधं . होति णातव्वं // 736. जे तु जदा करणिज्जे, उवयुत्त करेति णितियारो य। नणु तत्थ का व सुद्धी?, का व असुद्धी तु? चोदेति // 737. गुरुराह तत्थ चेट्ठा, जा किरिया सुहुम आसवेसुं वा। अहव पमादा सुहुमा, अतियार ण जाणती छदुमो // 738. ते अतियारा सुहुमा, आलोइयमेत्तया विसुझंति। .... सा आलोयण चोदग!, करणिज्जा तीसु जोगेसु॥ 739. को कारयो? जती तू, जइ साहु पयत्तिओ विणिद्दिट्ठो। पंचम गाह समत्ता, गाहं छटुं इमं वोच्छं / आहारादिग्गगहणे', तह बहियाणिग्गमेसु णेगेसु। उच्चार-विहारावणि, चेइयजइवंदणादीसुं॥ 6 // 740. आहारों जेसि आदी, सो चउहा होतिमो तु आहारो। भत्तं पाणं खादिम, सादिम होती चउत्थं तु॥ 741. आदिग्गहणेणं पुण, सेज्जा-संथार-वत्थ-पायट्ठा। पाउंछणअट्ठा वा, ओहोवहुवग्गहट्ठा वा॥ 742. अहव गिलाणस्सट्ठा, आयरिए बाल-वुड्ड-खमगे वा। दुब्बल सेहे व महोदरे व आदेसअट्ठा वा॥ 743. एतेसिं पाउग्गं, आहारो अहव होज्ज सेज्जादी। ओसध-भेसज्जाणि य, एमादी होज्ज अट्ठो उ॥ 1. रायो स (पा, ला)। 2. ते (पा, ब, ला)। ३.क्का (पा)। ४.च्छतुमो (ला, ब)। 5. रादीग (पा, मु)। 6. च्चारे (ला, ब)। 7. 'जह वंद (ला), "दीसु (ब), चेईयज' (ला)।