________________ पाठ-संपादन-जी-१ . 83 692. जं जीतमसोहिकरं, ण तेण जीतेण होति ववहारो। जं जीतं सोहिकरं, तेण 'उ जीतेण'' ववहारो॥ 693. जं जीतमसोहिकरं, पासत्थ-पमत्तसंजयाचिण्णं / जइ वि महाणाचिण्णं, ण तेण जीतेण ववहारो॥ 694. जं जीतं सोधिकरं, संविग्गपरायणेण दंतेणं। एक्केण वि आइण्णं, तेण उ जीतेण ववहारो॥ 695. एवं जहोवदिट्ठस्स, धीर-विदुदेसित-प्पसत्थस्स। णिस्संदो: ववहारस्स, एस कहितो समासेणं // 696. को वित्थरेण वोत्तूण, समत्थो णिरवसेसए अत्थे। ववहारो जस्स 'ठिता, जीहाण मुहे सतसहस्सं? // 697. किं पुण गुणोवदेसो, ववहारस्स तु विदुप्पसत्थस्स। एवं२ भे परिकहितं, दुवालसंगस्स णवणीतं / 698. ववहारे पंचसु वी, विज्जते१२ केण तू ववहरेज्जा?। आगमववहारेणं, तस्स अभावा सुतेणं तु॥ 699. सुतववहारअभावे, ववहारं ववहरेज्ज आणाए। जेणं सो उ सुतस्सा", अणुसरिसो एगदेसेणं // 700. आणाए ऽभावाओ, ववहारं ववहरेज्ज धरणाए। जेणेसा वि सुतस्सा, वट्टति तू एगदेसम्मि॥ 701. धारणऽणंतर जीतं, एत्थं५ पुण जीतकप्पें पगतं तु। जेणेसो सावेक्खो, अणुसज्जति जाव 'तित्थं ति'१६ // . 1. x (ला)। २.व्य 4547 / 3. तेणं (ला)। ४.व्य 4548 / 5. दंतेण (ब)। 6. एगेण (व्य 4549) / 7. पसत्थं (पा, ला)। 8. नीसंदो (व्य 4550) / ९.को वि (व्य)। १०.मुहे हवेज्ज जिब्भासतसहस्सं (व्य 4551), ___ "स्सा (पा, ला)। 11. विदुप (ला)। 12. एसो (व्य 4552) / 13. विज्जंत (ला)। 14. स्स (पा, ला)। 15. एयत्थं (ला)। १६.तित्थम्मि (ब)।