________________ पाठ-संपादन-जी-१ 33 210. छत्तीसाए तु ठाणेहिं, जो होति सुपतिट्टितो। अलमत्थो तारिसो होति, ववहारं ववहरित्तए' // 211. जा होतीबत्तीसा, तम्मी छोढूण विणयपडिवत्ती। चतुभेदं तो होती, छत्तीसाए उ ठाणाणं // 212. बत्तीस वण्णित च्चिय, वोच्छं चउभेद विणयपडिवत्तिं / आयरियंतेवासी', जह विणएत्ता भवे णिरिणो॥ 213. आयारे सुत विणए, विक्खिवणे चेव होति बोधव्वो। दोसस्स य णिग्याते, विणए चउहेस पडिवत्ती / / 214. आयारे विणयो खलु, चउव्विधो होति आणुपुव्वीए। संजमसामायारी, तवे य गणविहरणा चेव // 215. एगल्लविहारे या, सामायारी य एस 'चउधा तु९० / एतेसिंर तु विभागं, वोच्छामि अहाणुपुव्वीए॥ 216. संजममायरति सयं, परं च गाहेति संजमं नियमा। सीदंतथिरीकरणं, उज्जुतचरणं च उववूहे'२ // 217. सो सत्तरसो पुढवादियाण * घट्ट-परितावणोद्दवणं / परिहरितव्वं णियमा, संजमतो एस बोद्धव्वो / 218. 'पक्खे य पोसधेसुं१४, कारेति५ तवं सयं करेति६ वि य। भिक्खायरियाय तहा, णियुजति परं सयं वावि // 219. सव्वम्मि बारसविधे, णिउंजति परं सयं च उज्जमति / गणसामायारीए, गणं विसीदंत चोदेति // १.व्य 4128 / 2. भणिया (व्य 4129) / 3. तीए (व्य)। 4. वत्तिं (व्य)। 5. वासिं (व्य 4130) / ६.विणवित्ता (ब)। ७.व्य 4131 / 8. गणिवि' (ला, पा, मु)। ९.व्य 4132 // 10. चउभेया (व्य 4133) / / ११.एयासिं (व्य)। १२.व्य 4134 / 13. ताव उद्द' (व्य 4135) / 14. पक्खियपोसहिएसं (व्य 4136) / 15. कारयति (ला, व्य)। 16. करोति (पा), करोती (व्य)। 17. उज्जुत्तो (व्य 4137) /