________________ पाठ-संपादन-जी-१ 3 109. पच्चक्खव्ववहारी, इंदिय-नोइंदिएसु वक्खातो। आगमतो' ववहारी, पारोक्खं तू इमं वोच्छं // 110. पच्चक्खागमसरिसो, होति परोक्खो वि आगमो जस्स। 'चंदमुहीव तु'२ सो वि हु', आगमववहारवं होति / णातं आगमितं ति य, एगटुं जस्स सो परायत्तो। सो पारोक्खो वुच्चति, तस्स पदेसा इमे होति / / पारोक्खं ववहारं, आगमतो सुतधरा ववहरंति। चोद्दस-दसपुव्वधरा, नवपुव्विय गंधहत्थी य // 113. किह आगमववहारी?, जम्हा जीवादओ ‘णव पदत्था। . उवलद्धा तेहिं तू, सव्वेहिं नयविगप्पेहिं // 114. जह केवली वियाणति , दव्वं खेत्तं च काल भावं च। __ तह चउलक्खणमेतं, सुतणाणी वी विजाणाति॥ 115. पणगं मासविवड्डी'०, मासिगहाणी य पणगहाणी य। एगाहे पंचाहं, पंचाहे चेव एगाहं // 116. राग-दोसविवड्डिं, हाणिं वा णातु देति पच्चक्खी। चोद्दसपुव्वादी वि हु, तह णाउं देंति हीणऽधिगं२२ // 117. चोदगपुच्छा पच्चक्खणाणिणो थो१३ कह बहुं देंति? __ भण्णति सुणसू एत्थं, दिलृतं वाणिएण इमं // . 118. जं जह मोल्लं रयणं, तं जाणति रयणवाणिओ णिउणो। थोवं तु महल्लस्स वि, कासति अप्पस्स वि बहुं तु५॥ 119. अहवा वि कायमणिणो१६, सुमहल्लस्सावि कागिणीमोल्लं। - वइरस्स तु अप्पस्स वि, मोल्लं होती सतसहस्सं / / 1. "मजो (पा, ब, ला)। 2. ही विव (पा,व्य 4035) / 3. य (ब)। 4. व्य 4036 / - 5. चोदस (ब, ला)। ६:व्य 4037 / 7. पयत्था उ (व्य 4038) / ८.वि जाणति (व्य 4039) / 9.x (पा)। 10. वड्डेि (पा, ब, ला)। 11. व्य 4040 / 12. व्य 4041 / 13. थेवे वि (ला, मु)। 14. इस गाथा का उत्तरार्ध (व्य 4042) में इस प्रकार है दिटुंतो वाणियए, जिणचोद्दसव्विए धमए। १५.व्य 4043 / 16. मणिस्स उ (व्य 4044) / 17. स्स विउ (व्य)।