SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 198
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ज्योतिष मंडल व चन्द्रमा-आठ हजार मील विस्तार और पच्चीस हजार मील परिधि वाले भूमंडल के चारों ओर अनंत आकाश है, जिसमें सूर्य, चन्द्र और तारामंडल है। पृथ्वी के सर्वाधिक निकट चन्द्र है, जो पृथ्वी सेलगभग ढाई हजार मील दर है। यह पृथ्वी जैसा गोल और पथ्वी से कई गना छोटा एक भमण्डल है, जो पृथ्वी के चारों ओर परिभ्रमण करता रहता है। इसी के कारण पृथ्वी पर शुक्लपक्ष और कृष्णपक्ष होता है। चन्द्रमा का दिखाई देने वाला प्रकाश स्वयं का नहीं है, वह सूर्य के प्रकाश से प्रकाशित होता है, जो अपने निश्चित् परिभ्रमण प्रमाण में घटता-बढ़ता दिखाई देता है। चन्द्र की पृथ्वी एकदम ठंडी है हमारी पृथ्वी के समान उसमें उष्णता नहीं है। उसके आसपास वायुमण्डल भी नहीं है तथा पानी भी नहीं है, इसी कारण वहाँ श्वासोछ्वास वाले प्राणी और वनस्पति भी नहीं है। वहाँ पर्वत और गुफाओं के सिवा अन्य कुछ नही है। चन्द्र पृथ्वी का ही एक टुकड़ा है जिसे पृथ्वी से अलग हुए पाँच-छह करोड़ वर्ष हुए, ऐसी भूगोल विशेषज्ञों की मान्यता है। (चित्र क्र. 110) चन्द्र का क्षेत्रफल-वैज्ञानिकों के अनुसार चन्द्रमा सम्बन्धी ज्ञातव्य इस प्रकार है• चन्द्र का व्यास 2160 मील अथवा 3546 किलोमीटर है, जो पृथ्वी का चौथा भाग है। * चन्द्र की परिधि 10864 किलोमीटर है। * चन्द्र का पृथ्वी से अंतर 381171 किलोमीटर है। चित्र क्र. 110 विज्ञान सम्मत सौरमंडल கலலகவ 176 176 सचित्र जैन गणितानुयोग
SR No.004290
Book TitleJain Ganitanuyog
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayshree Sadhvi
PublisherVijayshree Sadhvi
Publication Year2014
Total Pages208
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size38 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy