________________ 12. सर्वआभ्यनतर मण्डल में सूर्य हो (कर्क संक्रान्ति के प्रथम दिवस), वह दिन 18 मुहूर्त का और रात्रि 12/ मुहूर्त की होती है। 13. सर्वबाह्य मण्डल में सूर्य हो (मकर संक्रान्ति के प्रथम दिवस), वह दिन 12 मुहूर्त का और रात्रि 18 मुहूर्त की होती है। (14. सर्वआभ्यन्तर मण्डल से सूर्य सर्वबाह्य में जाए तब प्रत्येक मण्डल में 2/61 भाग दिनमान कम होता है। इसी प्रकार सर्वबाह्य से सूर्य सर्व आभ्यन्तर में आए तब 2/61 भाग दिनमान बढ़ता जाता है। 15. प्रथम मण्डल में सूर्य हो तब अर्थात् कर्क संक्रान्ति के प्रथम दिन मेरु को स्पर्श कर रहे ताप क्षेत्र का गोलाकार माप विस्तार 9,486-9/10 योजन तथा अंधकार का विष्कंभ 6,324-6/10 योजन होता है। 16. प्रथम मण्डल में गति करते सूर्य का प्रथम मण्डल में ही ताप विष्कंभ 94,256-42/60 तथा तमः विष्कंभ 63,017-48/60 योजन होता है। 17. प्रथम मण्डल में सूर्य हो तब जम्बूद्वीप के किनारे पर ताप विष्कंभ 94,868-4/10 तथा तमः विस्तार 63,245-6/10 योजन होता है। 18. बाह्य मण्डल पर ताप विष्कंभ 95,494-1/2 योजन तथा तम: विष्कंभ 63,663 योजन है। 19. सर्व बाह्य मण्डल में सूर्य हो तब प्रथम मण्डल में ताप विष्कंभ 63,017-48/60 योजन, मेरु को स्पर्श करके 6324-6/10 योजन और जम्बूद्वीप के किनारे पर 63,245-6/10 ताप विस्तार होता है। 20. किसी भी मण्डल में सूर्य गति करता हो, तब प्रकाश क्षेत्र की लम्बाई जम्बूद्वीप में 45,000 योजन, लवण समुद्र में 33,333-1/3 योजन, इस प्रकार 78,333-1/2 योजन है। 21. सर्व आभ्यन्तर मण्डल में सूर्य की किरणों का उत्तर विस्तार 44,820 योजन और दक्षिण विस्तार 33,513 योजन है। 22. सर्वबाह्य मण्डल पर सूर्य की किरणों का विस्तार 31,881-1/2 योजन है। 23. आभ्यन्तर मण्डल के प्रथम मण्डल की परिधि का दशांश भाग 31,508-9/10 एवं बाह्य मण्डल में 31,831-5/10 योजन है। 24. सूर्य के विमानों के किरणों की ऊपर के भाग में लम्बाई 100 योजन तथा नीचे के भाग में 1,800 योजन है। 25. प्रथम मण्डल के प्रारम्भ के स्थान पर सूर्य की मुहूर्त गति 5251-29/60 योजन है तथा अन्तिम मण्डल में 5305-15/60 योजन है। 26. प्रत्येक मण्डल में दक्षिणायन के समय प्रतिमण्डल में 18/60 योजन मुहूर्त गति की वृद्धि एवं उत्तरायण के समय 17-38/60 मुहूर्त गति की हानि होती है। 27. प्रथम मण्डल में सूर्य के उदय-अस्त के मध्य का अन्तर 94256-42/60 योजन तथा बाह्य मण्डल में / 31831-1/2 योजन है। 28. प्रथम मण्डल में सूर्य 47,263-21/60 योजन दूर से दिखाई देता है जबकि सर्वबाह्य मण्डल में दृष्टिपथ क्रमांक 31,831-1/2 योजन है। 136 SA सचित्र जैन गणितानुयोग